आए दिन देश में मॉब लिंचिंग के मामले सामने आ रहे हैं. इन घटनाओं पर मध्य प्रदेश की पुलिस भी अलर्ट मोड में आ गई है. अफवाह के बाद मॉब लिंचिंग की घटनाओं से मध्य प्रदेश पुलिस भी डरी हुई है.
एमपी पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से अपील की है कि अफवाह से बचें, और अफवाह न फैलाएं. मध्य प्रदेश पुलिस के एडीजी इंटेलिजेंस कैलाश मकवाना ने जनता से बच्चा चोर गैंग और रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेचने संबंधी अफवाहों से सावधान रहने की अपील की है. एडीजी इंटेलिजेंस ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया मसलन व्हाट्सएप और फेसबुक पर पुरानी अलग-अलग घटनाओं को जोड़कर अफवाहें फैलाई जा रहीं है, जिनका हकीकत से कोई संबंध नहीं है.
पुलिस ने कहा है कि पिछले दिनों देवास के खातेगांव क्षेत्र में पकड़े गए चोरों का फोटो और रतलाम में सूअर के बच्चों को पकड़ने के संबंध में दो व्यक्तियों की बातचीत के ऑडियो को मिक्स कर दिया गया. यह साबित करने की कोशिश की गई कि बच्चों का अपहरण करने वाले गैंग की धर-पकड़ कर ली गई है. इसी तरह रतलाम के ढोढर क्षेत्र में 15 लड़के (ग्राहक) और बांछड़ा डेरे की 8 लड़कियां पकड़ी गईं. उनकी तस्वीरों को इस तरह से सोशल मीडिया पर प्रस्तुत किया गया कि पुलिस ने बच्चा चोर गैंग से अपहरण किए गए बच्चों को छुड़ाया है.
एडीजी कैलाश मकवाना ने कहा कि जब संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक से इसकी क्रॉस चेकिंग कराई गई, तो सभी मामले फर्जी पाए गए. बच्चा चोर गैंग जैसी कोई भी बात सामने नहीं आई. पुलिस ने अलग-अलग समूहों में इस बात की जानकारी दी है कि सभी बातें फर्जी हैं और ऐसी घटनाओं में जरा भी सत्यता नहीं है.
इन अफवाहों और संदेहों की वजह से कुछ इलाकों में मासूम व्यक्तियों को पीटने की घटनाएं सामने आई हैं. सभी जिलों में प्रशासन और पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है कि सोशल मीडिया पर नजर रखें और अफवाहों का तत्परता से खंडन करें, जिससे मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं न हों. पुलिस को यह भी निर्देश दिया गया है कि सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए इस संबंध में लोगों को जागरुक किया जाए कि अफवाहों पर ध्यान न दें. एडीजी इंटेलिजेंस ने कहा है कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाए.