पूर्व प्रदेश महाधिवक्ता मलकियत सिंह चंदेल के आकस्मिक निधन पर प्रदेश उच्च न्यायालय में फुल कोर्ट रेफरेंस का आयोजन किया गया और उनके द्वारा न्यायपालिका के लिए दिए गए अहम योगदान को याद किया गया। उन्हें वर्ष 2003 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया था।
वह 7 मार्च, 2003 से 2 जनवरी 2008 तक प्रदेश महाधिवक्ता रहे। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश वी रामासुब्रमनियन ने कहा कि एमएस चंदेल एक बड़े कानूनी विशेषज्ञ होने के साथ.साथ उन्हें सिविल, क्रिमिनल और संवैधानिक मामलों की अच्छी खासी परख थी। वे अपने सादे व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। मुख्य न्यायाधीश ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवार के लिए संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि चंदेल के निधन से न्यायिक बिरादरी को क्षति पहुंची है।
बिलासपुर से संबंध रखने वाले मलकियत सिंह चंदेल का जन्म 15 दिसंबर, 1933 को हुआ था। उन्होंने गवर्नमेंट डिग्री हाई स्कूल बिलासपुर से वर्ष 1951 में मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वर्ष 1981 में उन्हें असिस्टेंट एडवोकेट जनरल के पद पर नियुक्त किया गया। वे वर्ष 1991 में डिप्टी एडवोकेट जनरल के पद पर पदोन्नत हुए और 31 दिसंबर 1991 को सेवानिवृत्त हो गए।
इस अवसर पर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों में धर्म चंद चौधरी, तरलोक सिंह चौहान, सुरेश्वर ठाकुर, विवेक सिंह ठाकुर, अजय मोहन गोयल, संदीप शर्मा, चंद्रभूषण बारोवालिया, अनूप चिटकारा और ज्योत्सना रेवाल दुआ के अलावा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य और हाईकोर्ट के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रदेश महाधिवक्ता अशोक शर्मा, अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश रमाकांत शर्मा, अध्यक्ष बार एसोसिएशन राजीव जीवन और असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल राजेश शर्मा ने भी उनके द्वारा न्यायिक क्षेत्र में दिए गए योगदान का उल्लेख करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।