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टाइगर रिजर्व में 100 से ज्यादा शावक इनमें से 30 गिनती में आ गए, इसलिए और बढ़ गई बाघों की संख्या..

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राज्यों में टाइगर की मौजूदगी को लेकर हाल ही में जारी वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट ने मप्र को खुश होने का मौका तो दिया, लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़े होने लगे कि चार साल बाद जारी हुए आंकड़ों में एकाएक टाइगर की संख्या सवा दो सौ के करीब कैसे बढ़ गई।

जबकि वर्ष 2014 में डब्ल्यूआईआई का एस्टीमेट 308 था, वह इस बार 526 पहुंच गया। इतनी संख्या बढ़ने के पीछे के कारणों में सामने आया कि इस बार डब्ल्यूआईआई ने टाइगर की गणना के दौरान बाघों का प्रोटोकॉल बदला है। मप्र के टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टरों का कहना है कि पिछली बार डेढ़ साल से कम के शावकों को गणना में नहीं लिया गया था। इस बार छह माह आयु कम करते हुए एक साल से अधिक के शावकों को भी गणना में ले लिया गया। इससे ही संख्या में 30 शावकों की बढ़ोतरी हो गई।

मप्र में शावकों की संख्या इस समय 114 के करीब है। टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर यह भी कहते हैं कि डेढ़ साल से कम के शावकों के बचने की दर 20 से 30 फीसदी ही होती है, एेसे में कुछ संख्या बाद में घट सकती है। हालांकि तैयारी एेसी की गई है कि जो स्थिति आज मप्र की है, उसे आगे भी बरकरार रखा जाए।  इधर, इसके ठीक उलट यह बात भी चौंकाने वाली है कि 2014 से लेकर 2018 के बीच शिकार और प्राकृतिक घटनाओं के कारण 121 बाघों की मौत हुई है। एेसे में टाइगर की वर्तमान में जारी संख्या पर विचार जरूरी है।

नेशनल टायगर कंजर्वेशन अथाॅरिटी के पूर्व सदस्य सचिव व ग्लोबल टाइगर फोरम के जनरल सेक्रेटरी डाॅ. राजेश गोपाल यह मानते हैं कि शावकों के जीवित रहने की दर 50% होती है, लेकिन इस बार जो गणना हुई है, इसमें अनुमान की संभावना कम है। काफी कुछ फैक्ट पर आधारित है। डब्ल्यूआईआई टाइगर के सिंगल पिक्चर को ही काउंटिंग में ले रहा है। इसलिए 80% तक गणना सही रह सकती है।

इस बार कैमरा पिक्चर के साथ मप्र से डब्ल्यूआईआई को 11 टेरा बाइट में डाटा भेजा गया। कान्हा और बांधवगढ़ का ही 2-2 टेरा बाइट का डाटा था। एक टेरा बाइट में डेढ़ से दो लाख तक फोटो आते हैं। इस हिसाब से 20 लाख से अधिक फोटो डब्ल्यूआईआई को भेजे गए। देशभर में फोटो का आंकड़ा साढ़े तीन करोड़ है। डब्ल्यूआईआई के पास एडवांस सिस्टम है, जिसके जरिए टाइगर की पिक्चर को सेपरेट कर लिया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि डब्ल्यूआईआई का टाइगर रिजर्व के हिसाब से फाइनल आंकड़ा अगस्त के आखिर या सितंबर के पहले माह में आएगा।

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