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भोपाल के आसपास एक ही टेरेटरी में एक से अधिक बाघों का मूवमेंट,..

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बांधवगढ़ की तरह भाेपाल के आसपास एक ही टेरेटरी में एक से अधिक बाघों का मूवमेंट है। लेकिन बाघिन ज्यादा होने से यहां टेरेटोरियल फाइट नहीं होती है। भोपाल के आसपास 18 बाघ और बाघिन है। इनमें से 10 बाघिन हैं।

दरअसल, 437 वर्ग किमी क्षेत्र में भोपाल का जंगल फैला हुअा है। इसमें से 150 वर्ग किमी क्षेत्र का जंगल घना है। यहां बाघ-बाघिनों को भोजन के लिए पर्याप्त संख्या में जानवर हैं। जिनका शिकार बाघ – बाघिन करते रहते हैं। बाघ – बाघिनों के व्यवहार में अाए इस बदलाव को वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट इकोलाॅजिकल एडॉप्शन मान रहे हैं। गौरतलब है भोपाल के अासपास बीते 10 साल में बाघों की संख्या 2 से बढ़कर 18 हो गई है।

बाघों की गणना वर्ष 2018 में मार्च- अप्रैल में विभिन्न चरणों में हुई थी। भोपाल वनमंडल की 45 बीटों में 18 से अधिक बाघों की उपस्थिति मिली है। बाघों की टेरेटरी के बीच दो से चार बाघिनों की टेरेटरी बनी हुई है। स्वभाव के अनुसार बाघिन अपनी टेरेटरी छोड़कर दूसरी बाघिन की टेरेटरी में मूवमेंट नहीं करती। इसके अलावा एक बाघ की टेरेटरी में 4 बाघिन टेरेटरी बनाकर रह सकती है। इस वजह से भोपाल और उसके आसपास जंगल का आकार छोटा होने के बाद भी यहां बाघों में टेरेटोरियल फाइट नहीं हो रही है।

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. सुदेश बाघमारे का कहना है क्षेत्राधिकार की लड़ाई बेहतर शिकार क्षेत्र को लेकर होती है। भोपाल के आसपास के बाघों को शिकार मिल रहा है इसलिए यहां पर वर्चस्व की लड़ाई नहीं हो रही है। भोपाल में घूम रहे बाघ रेसीडेंशियल है। यही उनका जन्म हुआ। ये एक ही मां की संतान है इसलिए यहां इनका मूवमेंट बना हुआ है। वहीं बाघों के स्वभाव पर अध्ययन करने वाले दिल्ली के वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ. फैयाज खुदसर का कहना है कि स्थानीय परिवेश के आधार पर बाघ लड़ाई करने के बजाए सामंजस्य बनाकर रह रहे हैं।

भोपाल फारेस्ट सर्किल के चीफ कंजरवेटर एसपी तिवारी ने बताया कि बाघ गणना के दौरान भोपाल में बाघों का कुनबा बढ़ने के सबूत मिले हैं। इस अाधार पर एक डाॅक्यूमेंट्री भी बनाई है। कुछ बाघिनों ने शावकों को जन्म दिया है, जो बाघ गणना में शामिल नहीं है। उन्होंने बताया कि भोपाल- सीहोर अौर उसके अासपास के जंगल में बाघों की तुलना में बाघिनों की संख्या ज्यादा है।

बांधवगढ़ नेशनल पार्क के पूर्व डायरेक्टर मृदुल पाठक का कहना है कि एक बाघ की टेरेटरी में कम से कम चार बाघिन होती है। नर बाघों में क्षेत्राधिकार को लेकर वर्चस्व की लड़ाई होती हैं, मादा बाघों में नहीं। उनका कहना है कि उनका अनुभव रहा है कि मादा बाघिन हमेशा अपनी ही मादा शावक के साथ अपना इलाका शेयर करती हंै। इसकी वजह से भोपाल के आसपास घूम रहे बाघों में क्षेत्राधिकार को लेकर वर्चस्व की लड़ाई नहीं हो रही है।

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