राजधानी भोपाल में विकास के नाम पर हरियाली के दमन के बीच इस बार का मानसून एक आशा की किरण लेकर आया है। भोपाल को फिर से हरा-भरा बनाने में सरकारी सिस्टम के साथ-साथ आमजन की भागीदारी में भारी इजाफा हुआ है। प्रशासन की ओर से शुरू किए ‘ग्रीन भोपाल कूल भोपाल’ अभियान के तहत आम शहरवासियों ने अपने घर, आंगन, दफ्तर और खाली स्थानों पर अब तक 1 लाख 30 हजार पौधे रोपे हैं।
9182 लोगों ने ऑनलाइन डिमांड फॉर्म भरकर प्रशासन से फलदार पौैधे उपलब्ध कराने की मांग की। लगभग इतने ही लोगों ने ऑफलाइन फलदार पौधे लिए। यदि इस मानसून सीजन में हम 10 लाख पौधे लगाने में कामयाब हो जाते हैं और यदि उसमें से 5 लाख भी बड़े होकर पेड़ बन पाते हैं तो राजधानी का ग्रीन कवर 9% से बढ़कर 11% पर पहुंच जाएगा।
ग्रीन भोपाल कूल भोपाल की परिकल्पना को मूर्तरूप देने में जुटीं संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव के मुताबिक मौजूदा मानसून सीजन में अब तक राजधानी में अलग-अलग संस्थाओं ने 8 लाख 9 हजार 786 पौधे रोपे हैं। यह काम अभी थमा नहीं है। मानसून की विदाई से पहले यह आंकड़ा 10 लाख को पार कर जाएगा। भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के बाद राजधानी में यह दूसरा मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में शहर के अंदर पौधे रोपे गए हों। भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के दौरान बड़े तालाब के चारों ओर और कैचमेंट में 17 लाख पेड़ रोपे
पर्यावरणविद डॉ. सुदेश वाघमारे कहते हैं कि यदि इस साल अब तक लगे 8 लाख पौधों में से यदि 50 फीसदी भी बड़े होकर पेड़ बन जाते हैं, तो भोपाल के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। इस मानसून सीजन में ‘एक पेड़ एक जिंदगी’ अभियान के तहत दैनिक भास्कर ने स्वयं की पहल पर भोपाल शहर में 10 हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य तय किया था। इसमें से अब तक 4300 पौधे शहर के अलग-अलग संस्थाओं के परिसर में रोपे गए हैं। दैनिक भास्कर के प्रत्येक कर्मचारी ने अपने आवास स्थल या उसके नजदीक एक-एक पौधा रोपा है।
एक व्यक्ति को सालभर में 740 किग्रा ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसके लिए 9.5 टन ताजा हवा श्वास के रूप में लेना पड़ती है। एक बड़ा पेड़ सालभर में औसतन 100 किग्रा ऑक्सीजन पैदा करता है। इस लिहाज से प्रति व्यक्ति पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्धता के लिए आठ पेड़ होना चाहिए