Home हिमाचल प्रदेश शास्त्री अध्यापकों को टीजीटी बनाने पर होगा विचार CM ने दिया आश्वासन…

शास्त्री अध्यापकों को टीजीटी बनाने पर होगा विचार CM ने दिया आश्वासन…

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि शास्त्री अध्यापकों को टीजीटी संस्कृत का पदनाम देने पर सरकार विचार कर रही है। सरकार राज्य में संस्कृत भाषा को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में संस्कृत भाषा को राज्य की दूसरी भाषा घोषित करने के लिए सप्ताह भर चलने वाले संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष्य पर आयोजित संस्कृत अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे।

जयराम ने कहा कि इस वित्त वर्ष के दौरान 50 विद्यालय और 50 महाविद्यालयों में संस्कृत प्रयोगशालाएं शुरू की जाएंगी। सरकार शास्त्री अध्यापकों जिन्होंने बीएड की है, उन्हें टीजीटी संस्कृत री-डेजीग्नेट करने की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी। समारोह का आयोजन राज्य संस्कृत शिक्षा परिषद, संस्कृत अकादमी, संस्कृति एवं कला अकादमी और प्रदेश संस्कृत भारती के सहयोग से किया गया।

सीएम ने कहा कि संस्कृत को प्राचीन भारत में ‘देवभाषा’ एवं देवताओं की भाषा के नाम से जाना जाता था। संस्कृत विश्व की सबसे अधिक कंप्यूटर अनुकूल भाषा है। सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों में संस्कृत भाषा को पढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। संस्कृत भाषा ने सत्य की खोज के लिए पूर्ण स्वतंत्रता का प्रदर्शन किया और लौकिक सत्य की खोज के लिए एक नई दिशा दी है। संस्कृत भाषा की खोई हुई पहचान को दोबारा स्थापित करने एवं इसे आमजन में अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए मिल-जुलकर कार्य करना चाहिए।

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत लाहौल-स्पीति के एक गांव में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। यदि संस्कृत का अधिक प्रचार किया जाए तो यह दूसरे राज्यों के लोगों के मध्य एक कड़ी के रूप में काम कर सकती है। प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य था, जहां देवनागरी को विशेष रूप से प्रयोग में लाया गया।

संस्कृत भारत ट्रस्ट के उत्तरी जोन के कार्यकारी सचिव जय प्रकाश ने कहा कि संस्कृत किसी एकमात्र संप्रदाय की भाषा नहीं है, बल्कि एक ऐसी भाषा है जिसे विश्व की प्राचीन भाषा होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि देश में 17 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं और शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश में एक और विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।

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