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जॉन अब्राहम लेकर आए हैं ‘बटला हाउस जानें इस एनकाउंटर से जुड़ी पूरी कहानी..

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 आज करीब 11 साल बाद एक बार फिर दिल्ली स्थित जामिया नगर के बटला हाउस में हुए एनकाउंटर सुर्खियों में है. 19 सितंबर 2008 को हुए इस एनकाउंटर में दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद पुलिस के हाथों मारे गए थे. वहीं, दो संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए थे. साथ ही इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस स्पेशल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शहीद हो गए थे.

जॉन अब्राहम इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर फिल्म लेकर आ रहे हैं, फिल्म का नाम है ‘बटला हाउस’.  इस फिल्म का निर्देशन निखिल आडवाणी ने किया है. फिल्म में जॉन अब्राहम मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं. फिल्म में जॉन डीसीपी संजीव कुमार यादव के किरदार में नजर आएंगे, जिन्होंने 2008 में नई दिल्ली के जामिया नगर के बाटला हाउस में हुए एनकाउंटर का नेतृत्व किया था.

जितना विवादित ये एनकाउंटर था उतना ही विवाद फिल्म को लेकर भी हुआ. फिल्म को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई जिसमें कहा गया कि फिल्म इस केस को प्रभावित कर सकती है. हालांकि फिल्म की रिलीज को दिल्ली हाई कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ दृष्यों को हटाने के बाद फिल्म को रिलीज करने की इजाजत दे दी है. साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म की शुरुआत और आखिरी में डिस्क्लेमर चलाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के अधिकारी (शहीद एम सी शर्मा) की फिल्म के अंत में फोटो दिखाने पर भी रोक लगाई है. जिससे कि यह संदेश जा सके कि यह फिल्म फिक्शन यानी काल्पनिक है.

बता दें कि बटला हाउस एनकाउंटर मामले के आरोपियों ने फिल्म पर रोक लगाने की मांग की थी. उनकी दलील थी कि इस फिल्म के चलते अदालत में लंबित उनके मामले की सुनवाई पर असर पड़ सकता है.देश के सबसे चर्चित और कॉन्ट्रोवर्शियल एनकाउंटर्स में शामिल इस एनकाउंटर को 10 साल से ज्यादा का समय बीच चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर उस दिन वहां हुआ क्या था. इस 19 सितंबर 2008 को हुए इस एनकाउंटर के तार 13 सितंबर 2008 से जुड़े हुए हैं.

13 सितंबर 2008 को दिल्ली में एक के बाद एक 5 सीरियल बम ब्लास्ट हुए. इसके अलावा 3 जिंदा बम बरामद भी किए गए. इन पांच बम धमाकों में करीब 30 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इसमें से दो बम धमाके ग्रेटर कैलाश, दो बम धमाके कनॉट प्लेस और एक बम धमाका करोल बाग की गफ्फार मार्केट में हुआ. पुलिस की सूचना मिली की इन बम धमाकों में संलिप्त संदिग्ध आतंकवादी जामिया नगर के बटला हाउस स्थित एल-18 बिल्डिंग की तिसरी मंजिल में छिपे हैं. इस पूरे अभियान को दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहनचंद्र शर्मा लीड कर रहे थे.

दिल्ली पुलिस ने इस मुठभेड़ में कुल पांच नामों का जिक्र किया था. इनमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद पुलिस के हाथों मारे गए थे. मुठभेड़ में दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए थे.  जबकि एक और आरोपी शहजाद अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया था.  पुलिस ने शहजाद को ही इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा की मौत का आरोपी बनाया था. बाद में अदालत ने 30 जुलाई 2013 को इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

एनकाउंटर के करीब 10 साल बाद संदिग्ध आतंकवादी आरिज खान को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था. जानकारी के मुताबिक आरिज़ खान उर्फ जुनैद मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है. 2008 के बाद से आरिज कभी भी आजमगढ़ वापस नहीं गया था. एनआईए ने आरिज पर 10 लाख और दिल्ली पुलिस ने 5 लाख का इनाम रखा था. कहा जा रहा है कि आरिज़ इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को गोली मारते हुए फरार हो गया था. आरिज बटला हाउस एनकाउंटर के अलावा 2007 में यूपी के लखनउ कोर्ट ब्लास्ट, फैजाबाद और वाराणसी में हुए ब्लास्ट में भी शामिल रहा है. कहा जाता है कि आरिज बम बनाने में माहिर था.

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