पुलिस कांस्टेबल भर्ती फर्जीवाड़े में अभ्यर्थियों को पास कराने का जिम्मा कोचिंग सेंटरों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों पर था। फर्जीवाड़े में यूपी के पकड़े गए युवकों ने पुलिस पूछताछ में यह खुलासा किया है। यूपी के पकड़े गए युवकों में एक एमए अंग्रेजी पास है जो कोचिंग सेंटर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
सूत्रों की मानें तो अलीगढ़ के एक कोचिंग सेंटर में बाकायदा हाईटेक ट्रेनिंग देकर मुन्नाभाई तैयार किए जाते थे जो देश भर में आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षाओं में असली अभ्यर्थियों की जगह पेपर देते थे। इन्हें ऐंठे गए पैसों का कुछ हिस्सा दिया जाता था। फर्जीवाड़े के इस पूरे खेल को विभिन्न राज्यों में बैठे दलाल चलाते थे। हिमाचल में इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड जवाली का बिक्रम है। बिक्रम दूसरे राज्यों में बैठे दलालों से संपर्क साधकर हिमाचल में मुन्नाभाइयों की एंट्री करवाता था।
पुलिस सूत्रों की मानें तो भर्ती फर्जीवाड़े के तार हिमाचल, यूपी, हरियाणा, राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी जुड़े हैं। बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ेगी गिरफ्तारियों की संख्या भी बढ़ती जाएगी। मास्टरमाइंड बिक्रम के पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद ही कई बड़े खुलासे होंगे। माना जा रहा है कि हिमाचल में पिछले कुछ वर्षों में हुई कई भर्तियों में फर्जीवाड़े के खुलासे हो सकते हैं। उधर, माना जा रहा है कि पकड़े गए अधिकतर आरोपी काफी गरीब परिवारों से संबंध रखते हैं।परौर में हुई पुलिस कांस्टेबल भर्ती के दौरान आरोपियों के पास से हाईटेक डिवाइस मिले हैं जिनसे मुन्नाभाई पेपर में प्रश्नों के सही उत्तर दे रहे थे। असली अभ्यर्थी की जगह पैसे देकर बैठाए गए मुन्नाभाई कान और गले में डिवाइस लगाते थे। कान में ईयरबड और गले में तावीज के रूप या कपड़ों में डिवाइस चिप में सिम लगी होती थी। परीक्षा में बैठे मुन्नाभाई कॉल करके बाहर कहीं दूर बैठे एक्सपर्ट युवकों से प्रश्नों के उत्तर धीरे-धीरे पूछकर पेपर करते थे। वहीं, जवाली के रुस्तम अली ने तो परीक्षा केंद्र में गले में पहने तावीज में सिम डिवाइज लगाई थी जिसे पुलिस ने पेपर करते हुए पकड़ लिया।