Home राष्ट्रीय अनुच्छेद 370 वाली याचिकाओं पर SC में हुई सुनवाई…

अनुच्छेद 370 वाली याचिकाओं पर SC में हुई सुनवाई…

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केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर लगाई पाबंदियां हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू कश्मीर में दिन प्रतिदिन स्थिति में सुधार हो रहा है, पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से अनुच्छेद 370 पर दाखिल उनकी 6 याचिकाओं में खामियों को दूर करने के लिए कहते हुए सुनवाई स्थगित की. कश्मीर में लैंडलाइन, मोबाइल, इंटरनेट बहाल करने, पत्रकारों को आने-जाने पर रोक टोक न करने की मांग वाली अखबार कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर कोई SC ने आदेश नहीं दिया, अदालत ने कहा- सरकार को हालात सामान्य बनाने का मौका मिलना चाहिए.

अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसलों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सभी याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी. वकील एमएल शर्मा को भी याचिका सुधारने की इजाज़त दी. कश्मीर टाइम्स की संपादक की याचिका पर फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं किया. इससे पहले वकील एमएल शर्मा को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मैंने आधे घंटे तक याचिका पढ़ी. समझ नहीं आया कि आपको क्या चाहिए? आप याचिका वापस लीजिए.

कश्मीर टाइम्स की संपादक की याचिका पर CJI ने कहा कि मैंने अखबार में पढ़ा है कि कश्मीर में टेलीफोन सेवा बहाल होने लगी है. जिसपर वकील ने कहा कि मीडिया पास वाले पत्रकारों/फोटों जर्नलिस्ट को आने-जाने, काम करने से न रोका जाए. सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों के लैंडलाइन चालू हैं. एटॉर्नी जनरल ने कहा कश्मीर टाइम्स जम्मू से तो छप रहा है, श्रीनगर से नहीं क्यों? दूसरे अखबार तो छप रहे हैं. ये मामले को दूसरा रूप देना चाहते हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि रोज़ सुरक्षा का जायज़ा लिया जा रहा है. उचित कदम उठाए जा रहे हैं

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को फटकार लगाई. उन्होंने गलत फॉर्मेट में याचिका के लिए एमएल शर्मा को फटकार लगाई. उन्होंने कहा, ”आपने इतने गंभीर मसले पर डिफेक्टिव याचिका क्यों दाखिल की? कुल 6 याचिका दाखिल हुई, सब डिफेक्टिव. और हम अयोध्या सुनवाई रोक कर बैठे हैं. आगे की सुनवाई पर बाद में आदेश जारी करेंगे.” शर्मा ने चोट लगने की वजह से कमज़ोर याचिका का हवाला दिया. जिसपर कोर्ट ने कहा- आप घायल हैं तो रहने दीजिए. एक और वकील ने कहा कि ऐसे लोग गंभीर मसले का नुकसान करते हैं. कोर्ट इन्हें न सुने.

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने वाले संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. वकील एम एल शर्मा की तरफ से दायर याचिका में अनुच्छेद 370 को बेअसर करने के लिए किए गए संविधान संशोधन को गलत बताया गया है. साथ ही विधानसभा के प्रस्ताव के बिना राज्य को 2 हिस्सों में बांटने को अवैध कहा गया है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े और एस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने अखबार कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर भी सुनवाई की. याचिका में धारा 144 लगाने, मोबाइल-इंटरनेट सेवा बंद करने जैसी बातों से लोगों को हो रही दिक्कत का हवाला दिया है. ये भी कहा है कि इससे पत्रकारों का भी काम करना मुश्किल हो गया है. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार देनेवाले अनुच्छेद 370 के खंड एक को छोड़कर सभी खंडों को खत्म कर दिया गया है. इसके साथ ही, उसे दो भाग में बांटकर दोनों हिस्से को केन्द्र शासित प्रदेश बनया गया है. जिसके बाद राज्य को मिलनेवाले विशेषाधिकार खत्म हो गए हैं.

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला किया है. फैसलों के विरोध में प्रदर्शनों की आशंका को देखते हुए घाटी में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं. स्थानीय नेताओं को हिरासत में रखा गया है. फोन सेवा पूरी तरह ठप्प है. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका सुनवाई करते जम्मू-कश्मीर में दखल देने से इंकार कर दिया था और सरकार को हालात सामान्य होने के लिए वक्त दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रातों रात हालात सामान्य नहीं हो सकते.

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