जल्द ही मध्यप्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे नियमों से मुक्ति मिलने वाली है। इसके तहत कैदियों की ड्रेस तो बदलेगी ही साथ ही उनका बिस्तर का साइज भी बदलेगा। इतना ही नहीं प्रदेशभर में स्थापित जेलों में एक सी ड्रैस की जगह भौगोलिक स्थिति पर ड्रेस तय की जाएगी। प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी की रिपोर्ट के बाद जल्द ही इस पर अमल किए जाने की संभावना है।
दरअसल, प्रदेश सहित पूरे देश की जेलों में सन 1894 (प्रिज़न एक्ट) तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत द्वारा बनाए गए कई नियम चल रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा में 1968 में नया एक्ट लाया गया, लेकिन इसमें अंग्रेजों के जमाने के एक्ट में ज्यादा अंतर नहीं है। क़ैदियों के पहनावे और बिस्तर में ये बदलाव 5 दशक बाद किया जा रहा है।
अभी तक क़ैदी सूती कुर्ता-पायजामा और सिर पर टोपी लगाए नज़र आते हैं। इतना ही नहीं कैदियों का बिस्तर भी काफी छोटा होता है। कैदी जो कपड़े पहनते हैं वो काफी मोटे होते हैं। कमेटी उनके पहनावे मे व्हैराइटी लाएगी और क्वालिटी भी सुधारी जाएगी। कैदियों के लिए बेहतर बिस्तर मुहैया कराने पर विचार चल रहा है। इसवक्त इन लोगों को 2 बाय 6 की एक टाटपट्टी सोने के लिए मिलती है। इसे अब बड़ा किया जाएगा।
मौजूदा वक्त में जेल मैनुअल के तहत कैदियों को दो जोड़ी कपड़े दिए जाते हैं, जिनके साइज का कोई ध्यान नहीं रखा जाता। दस साल से ज्यादा सजा वाले कैदियों को काला कुर्ता दिया जाता है। जेल में कपड़े सुखाने की कोई व्यवस्था नहीं होती। कैदी अपने साथ न तो कोई रस्सी रख सकते हैं और न ही दीवार पर ई कील लगा सकते हैं, ऐसे में बारिश के मौसम में कैदियों को कपड़े सुखाने में खासी परेशानी होती है। बारिश के मौसम में कपड़े नहीं सूख पाते, लिहाजा गीले कपड़े पहनने से कैदी बीमार भी होते है। सोने के लिए मात्र दो फीट चौड़ी एक दरी और एक कंबल दिया जाता है। ठंड से बचने के लिए कैदियों को एक हाफ जैकेट मिलती है। खाने के लिए एक थाली, कटौरी और चम्मच दी जाती है।