इंदौर नेत्र चिकित्सालय में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंख की रोशनी जाने के मामले में सोमवार शाम जिला प्रशासन की टीम जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपेगी। 8 अगस्त को किए गए ऑपरेशन के अलावा 6 अगस्त को हुए ऑपरेशन में भी गंभीर लापरवाही की बात सामने आई है। वहीं आंखों की रोशनी खो चुके तीन गंभीर मरीजों को आज शाम हवाई मार्ग से चेन्नई भेजा जाएगा।
मामले की जांच कर रही जिला प्रशासन की टीम में शामिल अपर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप गोयल और डॉ. आशुतोष शर्मा को सोमवार सुबह ही कलेक्टरेट बुलवाया गया। अस्पताल से जुलाई व अगस्त में किए गए ऑपरेशन की जानकारी मांगी गई। इन 40 दिनों में करीब 301 ऑपरेशन हुए है। इस पूरे मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई है कि सिर्फ 8 अगस्त को किए गए ऑपरेशन में ही केस नहीं बिगड़े हैं बल्कि 6 अगस्त को हुए ऑपरेशन भी फेल हुए है। जिसका एक और पीड़ित मनोहर मोतीलाल यादव सोमवार को सामने आया।
मनोहर मोतीलाल यादव भी अपनी आंख की रोशनी गंवा चुके हैं। राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत 6 अगस्त को इंदौर नेत्र चिकित्सालय में ही उनका ऑपरेशन हुआ था। मनोहन ने भास्कर को बताया कि देपालपुर स्वास्थ्य केंद्र से हमें मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए भेजा था। तीन बार ऑपरेशन किया था। इसके बाद भी आंखों की रोशनी नहीं लौटी। 17 अगस्त को बुलवाया था लेकिन तब पता चला कि पहले भी केस बिगड़ गए है। हमें बाद में आने को बोल दिया गया। रोज ड्राप डालता हूं तो जलन होती है। सुई जैसा चुभता है। सफेद-सफेद हो गया है। हमारे साथ 20 मरीजों के ऑपरेशन हुए। 6 अगस्त को ऑपरेशन हुए। तीन बार ऑपरेशन किया। हमारी जांच भी ठीक से नहीं की गई। इसलिए हम वापस आ गए। कई बार बोला कि किसी बड़े डॉक्टर से जांच करवा दो लेकिन नहीं सुना।
राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत 8 अगस्त को इंदौर नेत्र चिकित्सालय में 14 मरीजों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था जिनमें से 11 मरीजों के ऑपरेशन फेल हो गए। मामला राज्य सरकार की जानकारी में आया जिसके बाद मरीजों को ताबड़तोड़ धार रोड स्थित चोइथराम नेत्रालय शिफ्ट कर दिया गया। उधर, सरकार के बुलावे पर चेन्नई से इंदौर आए आए नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव रमण की निगरानी में इन मरीजों का उपचार चल रहा है। इनमें से 3 मरीजों को शाम को हवाई मार्ग से इलाज के लिए चेन्नई भेजा जा रहा है