हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के 95 कर्मचारियों की तैनाती सरकार के गले की फांस बन गई है। ट्रिब्यूनल बंद होने के बाद सरकार चाह रही थी कि इन कर्मचारियों को राज्य सचिवालय में तैनाती दी जाए। इस दिशा में सरकार कसरत कर ही रही थी, लेकिन सचिवालय कर्मचारिओं ने इसका विरोध कर दिया। अब सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है कि इन्हें समायोजित किया जाए? फिर सरकार इन 95 कर्मचारियों को प्रदेश हाईकोर्ट में भेजने पर विचार किया, लेकिन वहां से भी सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में खोली गई नई अदालतों में भी इनके समायोजन पर विचार किया जा रहा था। यहां पेच फंसा कि जिलों में अगर इन्हें तैनाती दी जाती है तो वहां सचिवालय की तर्ज पर वेतन नहीं दिया जा सकेगा। ट्रिब्यूनल के कर्मचारियों को सचिवालय के आधार पर वेतन और भत्ते दिए जाते रहे हैं।
प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा कहते हैं कि ट्रिब्यूनल बंद होने के बाद 95 कर्मचारियों और अधिकारियों को सचिवालय में लाने की कोशिश की जा रही है। इन्हें सचिवालय में लाया जाता है तो इससे सचिवालय के कर्मचारियों के पदोन्नति के अवसर घट जाएंगे। सचिवालय के कर्मचारी आयोग से चयनित होकर आते और ट्रिब्यूनल के आयोग के माध्यम से नहीं लगे हैं। सरकार का विरोध इससे पहले में पहले भी किया था और अब भी विरोध करेंगे। प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल भंग होने के बाद लिपिक 18, वरिष्ठ सहायक 16, सुपरिंटेंडेंट 5, एसओ 7, चतुर्थ श्रेणी 25, चालक 5, लाइब्रेरियन 1, सहायक लाइब्रेरियन-, दफ्तरी1, रीडर 3, कोर्ट सचिव 1, सहायक रजिस्ट्रार 1, उप रजिस्ट्रार 1, जजमेंट राइटर 4, प्राइवेट सचिव 3 और वरिष्ठ स्केल स्टेनोग्राफर 1 प्रमुख हैं।