हिमाचल के बच्चों के लिए केंद्र से मिला पैसा प्रदेश सरकार खर्च ही नहीं कर पाई। इसके चलते केंद्र सरकार ने प्रदेश के बजट में कटौती कर दी है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए राष्ट्रीय क्रैच योजना के तहत प्रस्तावित 60 लाख रुपये में कटौती कर मात्र 14 लाख रुपये ही जारी किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने 136 क्रैच चलाने के लिए पैसा मांगा तो केंद्र ने खर्च न किया गया बजट काट दिया।
केंद्र ने पिछले दिनों यह राशि रिकरिंग ग्रांट-इन-ऐड नेशनल क्रैच स्कीम के तहत जारी की है। इसे वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए खर्च किया जाएगा। इसे भारत सरकार के 80 फीसदी शेयर के तहत महज 14,19,432 रुपये ही जारी किए गए। पहली और दूसरी तिमाही में इन क्रैचों के संचालन का कुल खर्च 73,91,832 रुपये आया है।
इसमें क्रैच में नियुक्त कार्यकर्ताओं के मानदेय पर ही 19,58,400 रुपये खर्च हो जाएंगे, जबकि सहायिकाओं पर करीब 10 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा डॉक्टरों के दौरे, अनुपूरक पोषक तत्वों, मेडिसिन किट और प्री स्कूल किट पर भी करीब 43 से 45 लाख रुपये का व्यय होगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अवर सचिव यूएस मेहता ने इस बारे में हिमाचल सरकार को पत्र जारी कर सूचित कर दिया है
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने इस मामले से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि इस बारे में पता करने पर ही कुछ कहा जा सकता है। पहली छमाही के लिए 73,91,832 रुपये वांछित हैं, मगर इस योजना में महज 14,19,432 रुपये ही जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार के पास पड़ेे पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2018-19 के 36,41,815 रुपये और राज्य बाल विकास परिषद के पास 2015-16 की पड़े 23,30,625 रुपये को अनस्पेंट बताते हुए इसकी कटौती कर दी है। इस तरह इस साल की पहली छमाही के लिए करीब 60 लाख रुपये की कटौती कर दी है।