पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता पी. चिदंबरम पर मीडिया केस में डबल शिकंजा कस रहा है. एक तरफ वह 30 अगस्त तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की हिरासत में हैं, तो वहीं दूसरी ओर इसी केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी उनपर शिकंजा कसने की तैयारी में है. सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले पर आज भी सुनवाई हो रही है. सोमवार को पी. चिदंबरम के वकीलों ने दलीलें रखी थीं, अब मंगलवार को ईडी को अपना जवाब देना है. अभी कोर्ट में पी. चिदंबरम के वकील ED द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे हैं. अदालत में पी. चिदंबरम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि ED के द्वारा कहा गया है कि FIPB ने अप्रूवल 2007 में दिया, रेवन्यू डिपार्टमेंट ने 2008 में नोट लिया. FIPB ने बाद में 2008 में क्लीयेरेंस लिया, लेकिन उससे पहले कुछ नहीं था. सिंघवी ने कहा कि ये केस शुरू से ही गलत चल रहा है.
कोर्ट में सिंघवी बोले कि FIR के मुताबिक केस 15 मई 2009 को रजिस्टर हुआ. इसके अलावा PMLA एक्ट भी जुलाई 2009 में शेड्यूल हुआ. कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी PMLA एक्ट पर बहस कर रहे हैं. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि PMLA एक्ट तो कम से कम 30 की रिश्वत में रहता है, लेकिन इस मामले में तो 10 लाख की रिश्वत के आरोप लगे हैं. उन्होंने कहा कि जो कानून इसमें लगाया गया है वो कथित क्राइम होने के बाद बना है, ऐसे में ये गलत नीति है.पी. चिदंबरम की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि इससे पहले जो भी पूछताछ हुई हैं, उसकी ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट के सामने रखी जानी चाहिए. इससे पहले दिसंबर 2018, दिसंबर 2019 में पूछताछ हुई थी. उन्होंने अदालत में कहा कि ED कोर्ट को बताए कि उन्होंने चिदंबरम को दस्तावेजों से कम्फ्रंट कराया या नहीं. चिदंबरम के वकील ने कहा कि आप ऐसे मामलों में PMLA नियमों के तहत जांच नहीं कर सकते हैं.
पी. चिदंबरम की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर आप पूछताछ में सवाल पूछ रहे हैं तो आरोपी ने क्या जवाब दिया, वो भी कोर्ट में बताना होगा. केस डायरी जो दिखाई जा रही है, उसमें ये शामिल होना चाहिए.सिंघवी ने कहा कि आपातकाल के वक्त जब MISA के मामले होते थे, तब भी कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट की आलोचना की थी. इस दौरान उन्होंने एक केस का हवाला भी दिया.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इससे कोर्ट को पता चल जाएगा कि चिदंबरम जांच में सहयोग कर रहे हैं या नहीं. क्योंकि जांच एजेंसियां आरोपी के पीठ पीछे से कुछ दस्तावेज़ चुपचाप कोर्ट में दाखिल कर उसे ही सबूत बता देती हैं. लेकिन हमारी न्याय प्रक्रिया में सिर्फ ऐसे दस्तावेज़ अपने आप मे सबूत नहीं हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में पी. चिदंबरम से जुड़े ईडी केस की सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केस डायरी को अदालत में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा उन्होंने ईडी के द्वारा की गई पूछताछ की ट्रांसक्रिप्ट भी मांगी है. कपिल सिब्बल की तरफ से कहा गया है कि एजेंसी की तरफ से दस्तावेज अचानक लाए जा रहे हैं.
सोमवार को जब कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम की ओर से दलीलें रख रहे थे तो उन्होंने ईडी पर कई तरह के आरोप लगाए. उन्होंने अदालत को कहा कि इनके पास कोई सबूत नहीं हैं, ना ही अभी तक कोई चार्जशीट दायर की है. इसके अलावा कपिल सिब्बल की तरफ से कहा गया कि ईडी का हलफनामा हमतक पहुंचने से पहले मीडिया में था. साथ ही कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान अकाउंट के नाम पर ट्विटर अकाउंट की जानकारी मांगी जा रही है, क्या आपके पास ट्विटर अकाउंट है.
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने अपने एक हलफनामे में कई तरह के आरोप लगाकर पी. चिदंबरम की हिरासत मांगी है. इनमें विदेश में शेल कंपनियां, बैंक अकाउंट और कुछ ट्रांजैक्शन जैसे आरोप लगाए गए हैं, जिनको लेकर पूछताछ करने के लिए हिरासत मांगी गई है. वहीं, इसी मसले पर पी. चिदंबरम की ओर से अग्रिम जमानत की याचिका दायर की गई है.आपको बता दें कि INX मीडिया केस में पद का दुरुपयोग करने के मामले में सीबीआई और ईडी दोनों ही एजेंसियों का पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम पर शिकंजा है. सीबीआई के द्वारा बड़े ही नाटकीय अंदाज में उन्हें गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्हें 26 अगस्त तक हिरासत में भेजे गए और सोमवार को सुनवाई के दौरान फिर उनकी हिरासत को 30 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है.