केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में नक्सलियों की समस्या से निपटने के लिए देश के सारे नक्सल प्रभावित राज्यों की बैठक बुलाई. इसी बैठक में छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को न्योता दिया गया. ऐसा पहली बार हुआ जब अमित शाह ने नक्सलवाद के मुद्दे पर किसी बैठक की अध्यक्षता की. सारे प्रदेशों के मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री के सामने अपने विचार रखे,मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नक्सल प्रभावित इलाकों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर केंद्र को सुझाव दिया.
कमलनाथ ने आगे कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में संचार माध्यमों को मजबूत बनाना ज़रूरी है. जिससे कि सूचनाओं को तेजी से साझा किया जा सके और नक्सलियों पर कारवाई करने में आसानी हो. कमलनाथ ने सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित मंडला और बालाघाट इलाकों में 4G नेटवर्क कनेक्टिविटी की सुविधा दी जाए. बताते चलें कि फिलहाल यहां टेलीफोन और मोबाइल नेटवर्क कवरेज बेहद सीमित है जिसके कारण पुलिस को नक्सल विरोधी अभियान में पहले भी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.
सीएम कमलनाथ ने बैठक में बताया कि बालाघाट और मंडला के आदिवासी ब्लॉक में अभी तक सिर्फ 50 प्रतिशत टू-जी कनेक्टिविटी ही पहुंची है. इसके साथ ही सीएम कमलनाथ ने बैठक में गृहमंत्री के सामने ये सुझाव भी दिया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में राज्य और केंद्र का जॉइंट एक्शन ज्यादा प्रभावशाली रहेगा.
कमलनाथ ने बैठक के दौरान साल 2000 में दिग्विजय सिंह की सरकार में बनाई गई हॉक फोर्स का ज़िक्र करते हुए गृह मंत्रालय को बताया कि इसके काम करने की तकनीक के चलते नक्सलवाद को मध्यप्रदेश में बालाघाट और मंडला तक ही सीमित रखने में सफलता मिली है.
गृहमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी एसआर मोहंती, डीजीपी वीके सिंह भी मौजूद थे. बैठक में मध्य प्रदेश पुलिस को पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ समन्वय बनाने के निर्देश गृहमंत्री द्वारा दिए गए. वहीं गृहमंत्री ने राज्यों के पुलिस बल के आधुनिकीकरण पर भी जोर दिया गया ताकि नक्सलियों के खिलाफ आधुनिक उपकरणों जैसे ट्रैकर्स, जीपीएस, ड्रोन, ट्रैप कैमरा, बॉडी प्रोटेक्टिव आर्मर्ड का बखूबी इस्तेमाल कर नक्सलियों से मुठभेड़ के समय कम से कम जवानों की जान की क्षति हो.