कूनो सेंक्चुरी में शेरों (एशियाटिक लॉयन) की बसाहट को लेकर पिछले छह साल से चल रही प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। शेरों की बसाहट को लेकर शुरू से ही गुजरात सरकार अड़ंगे लगा रही है। कभी एरिया बढ़ाने के नाम पर तो कभी नेशनल पार्क का दर्जा न होने की कमी बताकर पेंच फंसाए गए। अब कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा भी मिल गया है और 28 गांवों को आदिवासियों को रोजगार का भरोसा दिलाकर उनसे उनके गांव खाली करवाकर इसका क्षेत्र भी बढ़ा दिया गया है।
इस मामले में दैनिक भास्कर ने मप्र और गुजरात सरकार के वन मंत्रियों से बात की। मप्र के वन मंत्री उमंग सिंगार का कहना है कि छह साल पहले सुप्रीम कोर्ट शेर देने के आदेश दे चुकी है फिर भी गुजरात सरकार जानबूझकर शेर देना नहीं चाहती है। जबकि वहां पर बीमारी से शेरों की मौत हो रही है। इधर, गुजरात सरकार के वन मंत्री गनपतभाई वसावा का कहना है कि मप्र सरकार के आरोप निराधार हैं। हम तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। इधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिर के शेर कूनो में शिफ्ट कैसे करना है, इसके लिए तीन कमेटियां (ट्रांसलोकेशन कमेटी, एक्सपर्ट कमेटी और एपेक्स कमेटी) बनी हैं लेकिन इनकी बैठक न हो पाने से कुछ निर्णय नहीं निकल पा रहा है।
वहीं आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने शेर लाने में हो रही देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। मालूम हो कि आखिरी बार एक्सपर्ट की ट्रांसलोकेशन कमेटी की आखिरी बैठक वर्ष 2016 में हुई थी। इसके बाद से बैठक नहीं हुई।
गुजरात सरकार ने सबसे पहले कूनो सेंक्चुरी के एरिया को लेकर अड़ंगा लगाया। गुजरात सरकार ने कहा कि शेरों की बसाहट के लिए कूनो सेंक्चुरी का एरिया 200 हेक्टेयर का है, जो कि कम है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। गुजरात ने कहा कि कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा नहीं है। इन शेरों को नेशनल पार्क का माहौल मुफीद लगता है। गुजरात ने कहा कि यहां बाघ भी हैं। ऐसे में यहां के वन अफसरों को शेर और बाघ के एक साथ रहने की स्थिति में तैयारी करनी चाहिए।
मप्र सरकार ने 28 गांव खाली करवाए और गुजरात सरकार के कहे अनुसार रकबा बढ़ा दिया। मप्र ने वर्ष 2018 में कूनो को नेशनल पार्क बनाया। एक्सपर्ट कमेटी ने कह दिया कि यहबिंदु शेरों की शिफ्टिंग के साथ पूरे कर लिए जाएंगे। सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित ट्रांसलोकेशन कमेटी के मेंबर रणजीत सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित ट्रांसलोकेशन कमेटी ने 2016 में आखिरी बैठक की थी। इसके बाद कोई बैठक नहीं हुई। उसी समय साफ कर दिया था कि कूनो सेंक्चुरी शेरों के लिए मुफीद है। शेरों की शिफ्टिंग की जा सकती है।