मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी कैबिनेट में दो नए मंत्री बनाने की जल्दबाजी में बिलकुल भी नहीं हैं। उनसे मंत्रिमंडल विस्तार पर सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा – अभी मानसून है। अमर उजाला ने विधानसभा परिसर में बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से जब पूछा कि क्या मानसून सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्तार संभव है तो उन्होंने इस सवाल को यह कहकर मुस्कराते हुए टाल दिया कि अभी मानसून है।
जयराम कैबिनेट में मंत्रियों के दो पद खाली चल रहे हैं। ये लोकसभा चुनाव की वजह से खाली हुए हैं। ये पद जयराम सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे अनिल शर्मा के इस्तीफे और तत्कालीन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री किशन कपूर के सांसद बनने के बाद रिक्त हुए हैं। जयराम मंत्रिमंडल में वर्तमान में नौ मंत्री हैं। कुल 11 मंत्री ही बन सकते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद माना जा रहा था कि चुनावी प्रदर्शन के हिसाब से ही विधायकों को मंत्री पद का इनाम मिल सकता है।
मगर मोदी लहर में हर विधानसभा क्षेत्र में रिकार्ड लीड से सरकार को यह तय करना मुश्किल हो गया है कि किसका प्रदर्शन बहुत बेहतरीन माना जाए। ऐसे में कई विधायक मंत्री पद की दौड़ में हैं। ये सीएम जयराम ठाकुर के और करीब जाने का प्रयास कर रहे हैं तो दिल्ली तक जोर-आजमाइश कर रहे हैं। कुछ वरिष्ठ विधायकों के विधानसभा के भीतर तल्ख तेवरों को भी मंत्रियों के इन खाली पदों से जोड़कर देखा जा रहा है।मंत्रियों के खाली चल रहे इन पदों के लिए वरिष्ठ विधायकों में रमेश धवाला, नरेंद्र बरागटा, राकेश पठानिया, सुखराम चौधरी जैसे नामों पर चर्चा हो रही है। हालांकि वरिष्ठ विधायकों में ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला और जुब्बल-कोटखाई के विधायक नरेंद्र बरागटा की कैबिनेट रैंक के पदों पर नियुक्तियां हो चुकी हैं, मगर इनके समर्थक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
दोनों वरिष्ठ विधायक सदन में गरमाहट के साथ अपने क्षेत्र के मसले उठा रहे हैं। इनके अलावा नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया और पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी भी वरिष्ठता के चलते मंत्री पद की रेस में माने जा रहे हैं। हालांकि, एक चर्चा यह भी है कि जयराम किसी कनिष्ठ विधायक को भी कामकाज में चुस्ती, क्षेत्रीय, जातीय आदि समीकरणों को साधते हुए मंत्री बना सकते हैं।