सचिन तेंदुलकर को देखकर बड़े हुए कई खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेला लेकिन जिस खिलाड़ी को उनके साथ ओपन करने का मौका मिला वो सिर्फ वीरेंद्र सहवाग ही थे. वीरेंद्र सहवाग के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा था. लेकिन वीरेंद्र सहवाग को पता था कि वो अपने आइडल की कॉपी कर उनकी तरह नहीं बन सकते. इसलिए उन्होंने अपने दूसरे मजबूत हिस्सों पर काम करना शुरू किया और अंत में भारत के सबसे सफल टेस्ट ओपनर के रूप में रिटायर हुए.
सहवाग ने कहा कि, ” मैं उनकी तरह दिख सकता हूं, लेकिन उनकी तरह प्रदर्शन नहीं कर सकता. इसलिए जब मुझे इस बात का अहसास हुआ तो मैंने अपने खेलने का स्टाइल बदल लिया. सहवाग पहले ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जिनके नाम तीहरा शतक है. सहवाग ने इस दौरान वनडे और टेस्ट में कई रिकॉर्ड भी तोड़े. उनके नाम दोनों फॉर्मेट में 8000 से ज्यादा रन हैं.
अपनी बल्लेबाजी को लेकर उन्होंने कहा कि वो बस गेंद को मारने पर फोकस करते थे उन्हें अपने तकनीक की ज्यादा चिंता नहीं होती थी. उन्होंने कहा कि मैंने गेंद मारने पर फोकस किया इसलिए मेरा नाम हुआ. जब दूसरे क्रिकेटर अपनी गलतियां सुधारने पर फोकस करते थे तब मैं सिर्फ चौके और छक्कों पर फोकस करता था.