भोपाल. सीआरपीएफ के बंगरसिया परिसर में ‘जीवन संवाद’ का आयोजन किया गया। इसमें दिल्ली से आए मोटिवेशन स्पीकर दयाशंकर मिश्र ने उदासी, निराशा, अवसाद और आत्महत्या से जुड़े सवालों पर संवाद किया।
कार्यक्रम में दयाशंकर मिश्र ने कहा कि अपने निर्णय खुद करना और उनके जैसे भी परिणाम हों, उनके लिए केवल स्वयं को जिम्मेदार मानना अतीत से मुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जो हो गया, उसे बदला तो नहीं जा सकता, लेकिन उसकी याद में हम वर्तमान की सुनहरी आशा को अनंत काल तक प्रतीक्षा करने की अनुमति नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा कि इसलिए, स्वयं पर भरोसा, जिस पर अटूट विश्वास है, उसके साथ से हमें वर्तमान के आंगन में स्वयं को झोंक देने की जरूरत है। उन्होंने कार्यक्रम में आए लोगों से अपील की है कि अतीत से मुक्ति पर संवाद करते रहना होगा। बता दें कि मोटिवेशनल स्पीकर दयाशंकर मिश्र आत्महत्या के विरुद्ध ‘जीवन संवाद’ सीरीज में अब तक 500 से ज्यादा लेख प्रकाशित करवा चुके हैं।
कार्यक्रम में सीआरपीएफ के जवान और उनके 400 से अधिक परिजनों ने भाग लिया। इनकी मौजूदगी में जीवन, आस्था, अवसाद और प्रेम पर संवाद हुआ। सबसे जटिल, गहरे सवाल अतीत को लेकर आए। अतीत के आंगन में ताला लगाए बिना वर्तमान के द्वार पर सुकून से बैठना संभव नहीं। अतीत बार-बार उजले वर्तमान पर अमावस्या का अंधेरा फेंकने में जुटा रहता है। इसलिए, इसके प्रति सजग रहिए।