मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल और घंटों टीवी देखने की आदत छुड़ाने के लिए भी अब सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को पाठ पढ़ाया जाएगा। छात्रों को नशे पर जागरूक करने के साथ-साथ स्वच्छता, योग और ईमानदारी की भी शिक्षा दी जाएगी। संस्कार युक्त शिक्षा, रोड सेफ्टी और शौर्य कथाओं से स्कूली बच्चों को अवगत करवाया जाएगा। विद्यार्थियों का हैप्पीनेस स्तर बढ़ाने के लिए हिमाचल सरकार ने यह फैसला लिया है। शैक्षणिक सत्र 2020-21 से नौवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए यह योजना बनाई गई है। नैतिक शिक्षा या सामाजिक विज्ञान विषय में ये पाठ शामिल किए जाएंगे। इसी सप्ताह संभावित स्कूल शिक्षा बोर्ड की बैठक में इस पर अंतिम फैसला होगा।
बुधवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अगले साल से सरकार नई व्यवस्था करने जा रही है।पाठ्यक्रम के अलावा बच्चों को अन्य मामलों में भी जागरूक करने का फैसला लिया गया है। नशे पर जागरूक करने के लिए एससीईआरटी सोलन की ओर से सिलेबस तैयार किया जा रहा है। इसे अगले से सत्र से नौवीं और दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा योग, स्वच्छता और रोड सेफ्टी को लेकर प्रैक्टीकल ज्ञान स्कूलों में दिया जाएगा।
बैग फ्री डे और अंतर सदन प्रतियोगिताओं के दौरान ये गतिविधियां होंगी। इसके अलावा शौर्य कथाओं, ऐतिहासिक घटनाओं और संस्कार युक्त शिक्षा देने पर भी बल दिया जाएगा।शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूली बच्चों को पर्यावरण के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। बीते दिनों स्कूल परिसरों में करीब 89 हजार पौधे रोपे गए हैं। इन पौधों की देखभाल का जिम्मा भी बच्चे ही संभालेंगे। इस दौरान स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुरेश सोनी भी मौजूद रहे।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि बीते दिनों आए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि शहरों में दसवीं कक्षा के अधिकांश बच्चे रोजाना कई घंटे टीवी और मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस कारण बच्चे किताबों सेे दूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज और सरकार के लिए यह मामला चिंतनीय है। इस समस्या को कुछ हद तक दूर करने के लिए सरकार नए बदलाव कर रही है