हिमाचल का क्वालिटी सेब मंडियों में पहुंचना शुरू हो गया है। 7000 से 7500 फीट ऊंचाई के बागीचों से सेब की फसल मंडियों में पहुंच रही हैं। लंबी शेल्फ लाइफ और बढ़िया कलर को हाइट के सेब की खासियत माना जाता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस बार करीब 50 लाख पेटी सेब के उत्पादन का अनुमान है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड के चलते चिलिंग ऑवर जल्दी पूरे होने से क्वालिटी सेब तैयार होता है। मध्यम और निचले क्षेत्रों की तुलना में ऊंचाई वाले क्षेत्रों के सेब का रंग ज्यादा बेहतर होता है।
इतना ही नहीं, सेब ज्यादा ठोस और रसीला भी होता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों के सेब की सबसे बड़ी खासियत इसकी शेल्फ लाइफ है। मध्यम और निचले क्षेत्रों के सेब के मुकाबले ऊंचाई वाला सेब दोगुने समय तक सुरक्षित रह सकता है। सीए स्टोर में इसे 12 महीनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब को पकाने के लिए इथरल केमिकल का प्रयोग नहीं होता, इसलिए इस सेब की न्यूट्रिशन वैल्यू भी अधिक होती है।
जुब्बल के छाजपुर, रोहड़ूू के चांशल वैली, जाशला, कुफर बाग, कोटखाई के बाघी, रतनाड़ी, रेयोघाटी, हिमरी, खड़ापत्थर, नारकंडा, चौपाल के मड़ावग, दशोली से मंडियों में सेब की आमद शुरू हो गई है।भट्ठाकुफर फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने बताया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों से सेब मंडी में आना शुरू हो गया है। हाइट के सेब की क्वालिटी बेहतर होती है। बढ़िया माल को 1500 से 1700 तक रेट मिल रहे हैं।
किन्नौरी सेब की पहली खेप आज लुधियाना फल मंडी पहुंचेगी। किन्नौर के सेब की मार्केट में जबरदस्त डिमांड रहती है। सामान्य के मुकाबले किन्नौर के सेब को रेट भी अधिक मिलते हैं। हिमाचल प्रदेश सेब एवं सब्जी उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि पिछले सेब सीजन में ऊंचाई वाले इलाकों में एक करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। इस बार यह घटकर आधा रह गया है। उन्होंने बताया कि इस बार 50 लाख पेटी सेब के उत्पादन की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि मौसम के साथ न देने के कारण इस बार यह गिरावट दर्ज की जा रही है।