मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश की नदियों, तालाबों तथा अन्य जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण को अपराध माना जाएगा और उसे सख्ती से हटाया जाएगा। कमलनाथ आज मंत्रालय में ‘पानी का अधिकार’ एक्ट के लिए गठित जल विशेषज्ञों की समिति के सदस्यों के साथ चर्चा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ‘पानी का अधिकार’ अधिनियम का प्रारूप जल्दी बनाया जाएगा, जिसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सके। इसलिए उस पर अतिक्रमण कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति पानी के स्त्रोतों पर अतिक्रमण करेगा, उसे अपराधी माना जाएगा। उन्होंने कहा कि बड़ी संरचनाओं के स्थान पर छोटी जल संरचनाएँ बनाना चाहिए। इससे लोगों को उनकी पुरखों की जमीन, जायदाद और गाँव से बेदखल होने से बचा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साइबेरिया यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि वहां बड़े पैमाने पर खेती होती है लेकिन उसकी सिंचाई के लिए कोई बांध नहीं बनाए गए, बल्कि वहां तालाबों और छोटी-छोटी जल संरचनाओं के जरिए लोग सिंचाई करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें भी अपने यहां इस तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। कमलनाथ ने कहा कि पानी पर आम नागरिकों का अधिकार है। बैठक में विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष डॉ. मिहिर शाह और सह अध्यक्ष मेगसेसे पुरस्कार प्राप्त राजेन्द्र सिंह उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसमुदाय को पानी के प्रबंधन और उपयोग का अधिकार देना चाहिए। उन्होंने पानी की बर्बादी रोकने और उसके संरक्षण पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि जल संरचनाएं बनाते समय हमें ग्रामीणों से भी सुझाव लेना चाहिए। बैठक में जल विशेषज्ञ समिति अध्यक्ष डॉ. मिहिर शाह और सह-अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने पानी का अधिकार एक्ट के संबंध में अपने विचारों और सुझावों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की वजह से आज गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली राज्य में फैले हुए अरावली पर्वत की रक्षा हो सकी है। ये बात मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कही। उन्होंने ने ‘पानी का अधिकार’ एक्ट का प्रारूप बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की बैठक में बताया कि 7 मई 1992 को अरावली पर्वत में हो रहे अवैध उत्खनन एवं अतिक्रमण को लेकर वे तत्कालीन केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री कमलनाथ से मिले थे। उन्होंने बताया कि नाथ ने अरावली पर्वत को बचाने के लिए उस समय जो नोटिफिकेशन जारी किया, उसके कारण न केवल आज अरावली पर्वत सुरक्षित है।