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सोनिया गांधी के लिए राह आसान नहीं राहुल की टीम के नेताओं को साथ लेकर चलना चुनौती..

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 12 अगस्त को सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनीं. इसी के बाद से पार्टी में सोनिया और राहुल धड़े की बात होने लगी. अब सोनिया गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती राहुल गांधी की टीम को अपने साथ लेकर चलना है.

बता दें कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार और हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर को हटा दिया गया. इन दोनों ही नेताओं की नियुक्ति राहुल गांधी ने की थी. जानकारी हो कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा लंबे समय से अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पर हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन राहुल गांधी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था. सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते ही राहुल गांधी के धड़े के नेताओं बाहर करना शुरू कर दिया है.

राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरकार बनी थी लेकिन जब मुख्यमंत्री बनाने की बारी आयी तो राहुल गांधी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत और कमलनाथ को कमान सौंपी जबकि राहुल गांधी को इस बात का अंदाज़ा था कि तीनों ही लोग सोनिया गांधी की टीम के सदस्य हैं. उसी समय ये बात भी चलने लगी थी कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष तो बन गए हैं, लेकिन अपनी टीम के नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने में नाकाम रहे हैं.

राहुल गांधी को उस समय सोनिया गांधी और उनके नज़दीकी नेताओं ने यह बात समझायी कि अगर सीनियर लोगों को कमान नहीं दी गई लोकसभा चुनाव में पार्टी बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाएगी. अब सोनिया गांधी के सामने एक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष के सामने मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी अध्यक्ष चुनने की चुनौती है. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं और सीएम कमलनाथ और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह उनका विरोध कर रहे हैं.

सोनिया गांधी ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर ये संदेश दे सकती हैं कि वह राहुल गांधी के नज़दीकी लोगों को भी टीम में शामिल कर रहीं हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति राजस्थान की है. यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलेट जो कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं उनकी जगह किसी अपने व्यक्ति को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए. अब मुसीबत सोनिया गांधी के सामने है कि वह कैसे प्रदेश में राहुल गांधी की टीम को साधेंगे. बता दें कि मुंबई कांग्रेस की स्थिति भी मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह है. यहां राहुल गांधी खेमे के नेता मिलिंद देवड़ा के इस्तीफा देने के बाद से और भी नेता इस्तीफा दे सकते हैं.

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