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प्रतिमाओं की ऊंचाई… 6 साल पुराने आदेश को लागू करने के लिए एक साल और मांगा..

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 नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह साल पहले 2013 में आदेश दिया था कि प्रतिमाओं की ऊंचाई छह फीट से अधिक नहीं होना चाहिए और विसर्जन तालाब या जलस्रोत में करने की बजाय अलग से विसर्जन कुंड बनाया जाए। छह साल पुराना यह आदेश लागू करने के लिए प्रशासन ने अभी एक और साल मांगा है। वह भी तब जबकि छोटा तालाब स्थित खटलापुरा घाट पर असुरक्षित तरीके से 13 फीट ऊंची प्रतिमा के विसर्जन में 11 लोगों की जान चली गई। विसर्जन के दौरान हुए इस हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना और उनके विसर्जन को लेकर काफी सक्रिय हो गया है। दुर्गा पंडाल स्थलों से लेकर विसर्जन मार्ग और विसर्जन स्थल पर तमाम व्यवस्थाएं करने का दावा किया जा रहा है।

लेकिन प्रशासन ने प्रतिमा की ऊंचाई के आदेश को इस बार फिर अगले साल के लिए टाल दिया है। थाना स्तर पर कराए जा रहे पंडालों के पंजीयन फार्म के साथ दिए जाने वाले एफिडेविट में समिति के पदाधिकारियों से यह वचन लिया जा रहा है कि वे ‘अगले साल छह फीट से ऊंची प्रतिमा स्थापित नहीं करेंगे।’ एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी साफ किया है कि पूजन सामग्री और वस्त्र आदि विसर्जन से पहले निकाल लिए जाना चाहिए। लेकिन इसका पालन नहीं होता।

एनजीटी के इस आदेश के बाद बैरागढ़ व प्रेमपुरा घाट पर विसर्जन कुंड बनाए गए हैं। लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। इन कुंड में केवल छोटी प्रतिमाओं का ही विसर्जन हो रहा है। एेसी स्थिति में शहर के सभी तालाबों और डैम में विसर्जन हो रहा है और उनका पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है।

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने 2010 में प्रतिमा निर्माण और विसर्जन पर गाइडलाइन जारी की थी। इसमें तालाब, नदी समेत हर जलस्रोत के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसमें ऊंचाई का जिक्र नहीं है, लेकिन पीओपी की प्रतिमा निर्माण पर रोक की बात कही गई है। सीपीसीबी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. वायके सक्सेना ने कहा कि पूरे देश में हर जलस्रोत में एक जैसी ऊंचाई तय नहीं की जा सकती। इसलिए यह विषय राज्य सरकार पर छोड़ा गया था।

इधर कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने बताया कि बैठक में मूर्तिकारों को यह साफ कर दिया है कि अब नई मूर्तियां छह फीट से ऊंची नहीं बनेंगी। आयोजन समितियों को कह दिया गया है कि वे अगले साल किसी भी स्थिति में 6 फीट से ऊंची प्रतिमा स्थापित नहीं करेंगे। कहा जा रहा है कि अब केवल क्रेन से विसर्जन होगा। खटलापुरा घाट पर विसर्जन नहीं होगा। हर झांकी पंडाल का थाना स्तर पर पंजीयन कराया जा रहा है। उनसे फायर ऑडिट और स्ट्रक्चर स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट भी मांगा जा रहा है।

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