राज्य सरकार धर्मशाला में सात और आठ नवंबर को ग्लोबल इनवेस्टर मीट कर रही है लेकिन निवेशकों ने मंगलवार को पीटरहॉफ में आयोजित मिनी कॉनक्लेव में मुख्यमंत्री के समक्ष कुछ ऐसे सवाल उठाए, जिनका समाधान करना अनिवार्य है। पूर्व की भांति निवेशकों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा तो निवेश की संभावनाएं भी धूमिल पड़ जाएंगी।
हिमाचल में होटल उद्योग जगत से वर्षों से जुड़े उद्योगपति ध्यान चंद ने मुख्यमंत्री के ध्यान में मामला लाया कि प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े होटलों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। प्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए होटलों का निर्माण किया जाता है। जो नए होटल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों खासकर दुर्गम क्षेत्रों में भी तैयार किए जाते हैं परंतु होटल उद्योग को आज दिन तक उद्योगों को मिलने वाली कोई रियायत नहीं दी जा रही।
प्रदेश में लगे नए उद्योगों को समय-समय पर कई रियायतें दी जाती हैं। इनमें उद्योगों को सस्ती बिजली उपलब्ध करना प्रमुख है। प्रदेश में होटल उद्योगों को आरंभ में सस्ती बिजली की जरूरत पड़ती है परंतु सरकार ने आज दिन तक नए होटल को सस्ती बिजली तक उपलब्ध नहीं कराई। ऐसी स्थिति में होटल उद्योग में पूंजीपति निवेश करने के लिए कैसे आगे आएंगेध्यान चंद ने कहा कि पर्यटन प्रोजेक्टों के लिए धारा 118 के मंजूरी के मामले वर्षों से लटके हुए हैं। ये मामले डीसी और मंडलायुक्तों के पास लंबित पड़े हैं। इन मामलों को तुरंत मंजूरी दी जाए, जिससे प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने वाले पूंजीपतियों को कोई परेशानी न हो। संबंधित क्षेत्रों के डीसी और मंडलायुक्तों को ऐसा मामला प्राथमिकता के तौर पर सुलझाने के निर्देश दिए जाएं। इन उठे सवालों पर बिजली विभाग के अधिकारियों ने अवगत कराया कि बिजली का मामला रेगुलेटरी कमीशन से उठाना अनिवार्य है। वहीं राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि पूंजीपति धारा 118 की मंजूरी के लिए ऑनलाइन आवेदन करें और उन पर तय समय पर कार्रवाई होगी। इसकी सूचना मोबाइल और ई-मेल से भी भेजी जाएगी। उद्योगों से जुड़े सभी विभागों को इंटरलिंक किया गया है।
जाबली के उद्योगपति ने कहा कि उनके पास दो हजार हिमाचली नौकरी कर रहे हैं। सरकार नए उद्योगों को रियायतें दे रही है। सरकार पुराने उद्योगों को भी रियायतें दे। इस अवसर पर शिक्षा को पर्यटन से जोड़ने का मामला भी उठाया गया। कोलकाता के उद्योगपति सुभाष सेठी ने कहा कि उन्होेंने बिजली प्रोजेक्टों में 200 करोड़ रुपये का निवेश किया है परंतु ट्रांसमिशन लाइन के बिना दिक्कत आ रही है। इस पर मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि पुराने उद्योगों का विस्तार करते हैं तो उनको उसमें रियायतें दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन कारपोरेशन के एमडी को बुलाएंगे और उद्योगपति भी दफ्तर आएं। यह मामला सुलझा दिया जाएगा।