भोपाल एमपीआरडीसी के भोपाल-देवास कॉरिडोर में बना भोपाल-इंदौर स्टेट हाईवे देश के बेहतर राजमार्गों में है, लेकिन यह खतरनाक और जानलेवा भी है। दरअसल, इस हाईवे पर भोपाल से 90 किमी यानी सीहोर जिले की आखिरी सरहद दौलतपुर घाटी के बीच 21 ब्लैक स्पॉट हैं, जिन पर बीते 44 महीने में 269 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 55 मौतें भोपाल जिले की सीमा में हुईं। खास बात यह है कि हाईवे 80 किमी/घंटे की रफ्तार से वाहन चलने के लिए डिजाइन हुआ है। घुमावदार हिस्सों में गति 60 किमी/घंटा निर्धारित है। जबकि यहां वाहन 120 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं।
इसी वजह से हादसे होते हैं। इन वाहनों की रफ्तार चौराहों पर क्राॅसिंग के दौरान भी कम नहीं होती है। यही वजह है कि एप्रोच रोड से अचानक वाहन या सड़क पर मवेशी आने से दर्दनाक हादसों में लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। जानकारों का कहना है कि जब से यह हाइवे बना है, इसकी कमियों को दूर नहीं किया गया।
जिम्मेदारों ने हाइवे में सुधार के नाम पर संकेतक बोर्ड, रोड मार्किंग, जेब्रा क्रासिंग और एप्रोच पर स्पीड ब्रेकर बनाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी की है। जबकि इस स्टेट हाइवे में भविष्य की जरूरतों और हादसों को रोकने के हिसाब से सुधार किया जाना चाहिए था। इस हाइवे पर एमपीआरडीसी भोपाल-देवास कॉरिडोर द्वारा टोल वसूला जाता है। हाइवे से 24 घंटों में हजारों वाहन गुजरते हैं।