हनी ट्रैप मामले में रिमांड मिलने के बाद शनिवार काे एसआईटी सभी आरोपियों को आगे की जांच के लिए इंदौर से लेकर रवाना हुई। पुलिस एक गाड़ी में आरोपी आरती और बरखा, जबकि दूसरी में दोनों श्वेता और छात्रा को लेकर गई। इसके अलावा टीम अपने साथ जब्त मोबाइल, हार्ड डिस्क और इलेक्ट्रॉनिक साम्रगी भी लेकर गई है। आरोपियों को टीम कहां लेकर जा रही है इसकी अधिकृत जानकारी तो नहीं दी गई, संभवत: टीम इन्हें भोपाल, राजगढ़, सागर, छतरपुर सहित मामले से जुड़ी सभी जगहों पर लेकर जाएगी।
इसके पहले शुक्रवार शाम आरती दयाल व छात्रा से पूछताछ के लिए पुलिस को 1 अक्टूबर और दोनों श्वेता जैन व बरखा सोनी का 30 सितंबर तक का रिमांड मिला है। पुलिस ने कोर्ट में दलील दी कि इस केस में अब केंद्रीय विभागों के अफसरों के नाम सामने आए हैं। आशंका है कि उनके स्तर पर टेंडर किए गए। आरती ने बीमारी का बहाना बनाकर पूछताछ में सहयोग नहीं किया। अब भी उससे कई बिंदुओं पर जानकारी लेना है, लिहाजा 2 अक्टूबर तक का रिमांड मिलना चाहिए। वहीं एमवायएच में मेडिकल कराने के बाद जब दोनों श्वेता अाैर बरखा बाहर आई ताे उनसे मीडिया ने कई सवाल पूछ लिए। इस पर श्वेता विजय ने कहा कि हमें फंसाया जा रहा है। इस मामले में कई बड़े लाेग शामिल हैं, जाे हमें फंसा रहे हैं।
छात्रा को राजगढ़ और भोपाल लेकर पहुंची पुलिस टीम के सामने एक बार फिर श्वेता जैन, आरती दयाल की गैंग से संपर्क रखने वाले कुछ नेता और अफसरों के नाम आए। छात्रा ने बताया कि आरती उन्हें रोज कॉल करती थी। कुछ लोगों को वह चेहरे से जानती है। पुलिस उन बड़े लोगों की पहचान करने और उनके खिलाफ सबूत जुटाने के लिए श्वेता और आरती का आमना-सामना करवाएगी। भोपाल में पुलिस टीम छात्रा को साथ लेकर आरती के घर भी पहुंची और वहां से छात्रा के कपड़ों सहित कई दस्तावेज और अन्य सबूत बरामद किए। पुलिस ने आरती, दोनों श्वेता और बरखा सोनी के बैंक अकाउंट सीज करवा दिए। बैंकों को पत्र लिखकर इनके खातों में हुए ट्रांजेक्शन, लोन की जानकारी भी मांगी है।
पुलिस ने आरती को बताया कि रिमांड के दौरान उसे छतरपुर और भोपाल ले जाएंगे तो वह बिफर गई। बोली, वहां मेरी काफी इज्जत है। इस केस के बाद वहां कैसे जाऊंगी। उसने हंगामा किया और किसी भी कागज पर साइन करने से इनकार कर दिया। पेन तक को हाथ नहीं लगाया। बाद में उसे महिला थाने के ऊपरी कमरे में ले गए और महिलाकर्मियों ने समझाया। फिर वह साइन करने को राजी हुई।
मानव तस्करी मामले में पुलिस ने आरती के कथित देवर अभिषेक ठाकुर और एक अन्य ड्राइवर पर भी केस दर्ज किया है, लेकिन इनका अभी तक पता नहीं चला है। ये ड्राइवर आरती के साथ मई में छात्रा के घर उसे लेने गया था। पुलिस ने आरती से अभिषेक के बारे में पूछा तो बोली कि वह उसे नहीं जानती। पुलिस का कहना है आरती की बहानेबाजी, झूठ का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा।
जिला जेल से शाम को जब दोनों श्वेता और बरखा को एमवाय अस्पताल ले गए तो कैमरे देखकर श्वेता आगे आई और बोली कि मीडिया उन्हें इंसाफ दिलाने में मदद करे। उन्हें बड़े लोगों ने फंसाया है, लेकिन नाम पूछने पर वह चुप हो गई। पिछली पेशी पर श्वेता ने निगम इंजीनियर हरभजन सिंह पर आरोप लगाए थे, इस बार किसी का नाम नहीं लिया।
आरती के एनजीओ और संस्थाओं की जांच कर रही है पुलिस
हनी ट्रेप मामले में पुलिस ने बड़ी संख्या में दस्तावेज हासिल किए हैं। इसमें कुछ फर्म/कंपनियां और एनजीओ आरती की भी हैं। यह संस्थाएं भोपाल और इंदौर में पंजीकृत कराई थीं। आरती द्वारा रजिस्टर्ड कराई गई संस्थाओं में छतरपुर के लाेग भी व्यावसायिक पार्टनर हैं। इनमें कुछ लोग राजनीति और सामाजिक संस्थाओं में काम करने वाले चर्चित नाम हैं। आरती के पिता विंद्रावन अहिरवार मूल रूप से खरेला जिला उप्र के रहने वाले हैं। आरती की स्कूल की पढ़ाई नौगांव से हुई है। उसके पास से अपनी पहचान पत्र को लेकर कई फर्जी दस्तावेज पाए गए हैं। स्कूल में पढ़ाई से लेकर 2012 में अनिल वर्मा से शादी तक यह अपना नाम आरती अहिरवार लिखती रही है।
2014 में अनिल के खिलाफ छतरपुर न्यायालय में चले प्रकरण के दौरान पेश किए गए दस्तावेजों में उसका नाम आरती अहिरवार ही था। अनिल वर्मा को छोड़ने के बाद आरती कटनी में पंकज दयाल के साथ लिव इन रिलेशन में रही। इसी दौरान इसने आधार कार्ड में अपना नाम आरती दयाल दर्ज करा लिया। पुलिस द्वारा जब्त की गई कार के दस्तावेजों में भी नाम आरती दयाल लिखा हुआ है। इसके कुछ फर्जी परिचय पत्र भी जब्त हुए हैं। इनमें आरती सिंह और ज्योत्सना सिंह नाम के फर्जी परिचय पत्र बरामद हुए हैं।