पितृमोक्ष अमावस्या होने से आज शीतलदास की बगिया में आदि घाटों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़भाड़ लगी हुई है। लोगों ने पितृमोक्ष अमावस्या पर शनिवार को तर्पण कर क्षमायाचना के साथ पितरों को विदाई दी। अमावस्या शनिवार को होने से पंडितों ने इसे शुभ व दुर्लभ योग माना है, जो 20 साल बाद बना है। इसके अलावा पंचग्रही योग भी रहेगा, जो इस दिन की शुभता में वृद्धिकारक होगा।
आचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री के अनुसार सूर्य, बुध, मंगल, चंद्रमा, शुक्र के कन्या राशि में रहने से पितृमोक्ष अमावस्या पर पंचग्रही योग भी बन रहा है, जो अतिवृष्टि का योग निर्मित कर रहा है। कई दिन पहले से इस राशि में चतुर्ग्रही योग बना हुआ था, जो लगातार वर्षा का कारण बना। पं. शास्त्री कहते हैं ग्रहों की स्थिति यहीं संकेत दे रही है कि पितृ-मोक्ष अमावस्या पर भी बारिश होने का अनुमान है, जो शुभ मानी जाती है।
पं. शास्त्री के मुताबिक आज के दिन पितरों की स्मृति में पौधे रोपना एवं जरूरतमंदों को भोजन कराया सबसे श्रेष्ठ कार्य माना जाता है, जिससे पितर सदैव प्रसन्न रहते हैं और वंश की सुरक्षा होती है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए लोगों ने स्नान के बाद पिंडदान किया और इसके बाद 5 आटे के दीपक पीपल के पुराने पेड़ के नीचे जलाया। शनिदेव को प्रसन्न करने शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: का 108 बार चंदन की माला से जप किया। सरसों के तेल, उड़द, काले तिल, कुलथी, गुड़, शनियंत्र और शनि से संबंधित पूजन सामग्री को शनिदेव को अर्पित किया।
जिनकी सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर डीआईजी श्री इरशाद वली व कमिश्नर श्री विजय दत्ता द्वारा शीतलदास की बगिया का निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया एवं किसी प्रकार की अनहोनी न हो इसके लिए अधिकारी और कर्मचारियों को ब्रीफ़ कर संवेदनशीलता से डयूटी करने व सजग रहने हेतु दिशा निर्देश दिए।