नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है. इस दिन मां के ‘चंद्रघंटा स्वरुप की उपासना की जाती है. इनके सिर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है जिसकी वजह से इनको चंद्रघंटा कहा जाता है. इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है. मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध मंगल नामक ग्रह से होता है. इस बार मां के तीसरे स्वरुप की उपासना 1 अक्टूबर यानी आज की जाएगी.
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि क्या है?
1 मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है
2 मां को लाल पुष्प,रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है
3 इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है
4 अतः इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है
5 अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए
मणिपुर चक्र को मजबूत करने के लिए क्या करें ?
1 मध्यरात्रि में लाल वस्त्र धारण करें
2 पहले अपने गुरु को प्रणाम करें
3 माँ दुर्गा के सामने दीपक जलाएं, और उन्हें लाल फूल अर्पित करें
4 इसके बाद आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं
5 ध्यान के बाद अपने गुरु से मणिपुर चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें
देवी के तीसरे स्वरुप से जुड़ा महामंत्र
नवरात्रि के तीसरे दिन ऐश्वर्य प्राप्ति और भय मुक्ति का मंत्र जपें आज के दिन इस मंत्र के उच्चारण मात्र से देवी प्रसन्न होकर वरदान देती हैं.