50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार ने हजारों सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देने से साफ इंकार कर दिया है। अपनी माली हालत पतली देखते हुए सरकार ने वर्ष 2003 के बादपुरानी पेंशन स्कीम खत्म होने से लेकर सितंबर, 2017 के बीच के सेवानिवृत्तों को झटका दिया है। रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी केवल 22 सितंबर, 2017 के बाद सेवानिवृत्त होने या मृत्यु की स्थिति में ही मिलेगी।
अपने कई विभागों में आ रहे ग्रेच्युटी के दावों के बीच हिमाचल सरकार ने बाकायदा स्पष्टीकरण आदेश जारी कर इस संबंध में अपना पल्ला झाड़ लिया है। प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना ने इस बारे में सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को पत्र संख्या एफआईएन (पीईएन)ए(3)-1/2019 के अनुसार साफ किया है कि वित्त विभाग ने 18 सितंबर 2017 को इस बारे में कार्यालय आदेश जारी किए थे, जिसमें न्यू पेंशन प्रणाली के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी या मृत्यु ग्रेच्युटी देने का प्रावधान है।
यह कार्यालय आदेश केवल राजपत्र में छपने की तिथि से ही लागू माने जाएंगे। 18 सितंबर 2017 को जारी आदेश राजपत्र में 22 सितंबर 2017 को छापे थे। ऐसे में इस प्रावधान को लागू करने की तिथि भी 22 सितंबर 2017 होगी। न्यू पेंशन प्रणाली वर्ष 2003 के बाद शुरू हुई है। तबसे लेकर 22 सितंबर 2017 तक हजारों कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति हो चुकी है। कई कर्मचारियों की मृत्यु भी हो चुकी है। इनमें से कई कर्मचारी और उनके परिजन ग्रेच्युटी के दावे पेश कर रहे हैं, मगर ये मान्य नहीं होंगे।
अगर सरकार पिछले दावों को भी मंजूर कर लेती है तो इस पर सैकड़ों करोड़ का आर्थिक बोझ पड़ेगा। मौजूदा जयराम सरकार भी पिछली धूमल और वीरभद्र सरकारों की तरह ही कर्ज लेकर कर्मचारियों और पेंशनरों का वेतन तथा पेंशन दे रही है। ऐसे में सवाल यह है कि यह करीब 15 साल के सेवानिवृत्तों के ग्रेच्युटी को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है।