गैस त्रासदी की 35वीं बरसी के एक दिन पहले सोमवार को गैस पीड़ित संगठनों ने कैंडल मार्च निकाला और त्रासदी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। गैस पीड़ितों ने कहा कि 35 साल बीत गए, लेकिन अब तक गैस पीड़ितों के लिए बनाए गए गैस राहत अस्पतालों में इलाज के बेहतर इंतजाम हैं। बावजूद सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है। पीड़ितों को जितना मुआवजा मिलना चाहिए वो भी अभी तक नहीं मिला। इतना ही नहीं यूनियन कार्बाइड में पड़ा जहरीला कचरा हटाने के लिए भी कोई प्लानिंग नहीं की गई है।
गैस पीड़ितों के रोजगार के लिए भी सरकार अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा और गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति के सदस्यों ने सोमवार को त्रासदी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।
भोपाल| 1984 में हुए भोपाल गैस कांड के आरोपियों को 26 साल बाद 2010 में 2 साल के कारावास की सजा हुई। आरोपियों ने अपील कर सजा माफ करने की गुहार लगाई। सीबीआई ने भी अपील कर सजा बढ़ाने की मांग की। ये अपीलें 19 साल से लंबित हैं। मप्र मंत्रालय बार एसोसिएशन ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंग बोबड़े और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल को पत्र लिखा है। एसोसिएशन ने मांग की है कि जिस तरह राम जन्मभूमि मामले की डेडलाइन निश्चित कर प्रतिदिन सुनवाई की गई, उसी तरह इस मामले में भी एक समय सीमा तय कर दी जाए।