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इस बार क्यों लगातार ठिठुर रहा है उत्तर भारत 5 दशकों में एक बार आती है ऐसी ठंड..

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दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में इस बार ठंड ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पांच दशकों के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि सर्दी कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है. दरअसल भूमध्य सागर में पैदा होने वाले असमान्य और शक्तिशाली वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ने उत्तर भारत को ठिठुरने को मजबूर कर रखा है. यह स्थिति चार से पांच दशकों में एक बार पैदा होती है. मौसम विभाग का कहना है कि नए साल पर भी ऐसी ही कंपकंपाने वाली सर्दी बरकरार रहेगी.

मौसम विभाग (आईएमडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र जेनामणि का कहना है, “यह लंबी अवधि है, जिसकी प्रकृति अनोखी है और यह पूरे उत्तरपश्चिम भारत पर असर डालेगी.”  गंगा के मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा और हिंद महासागर की असामान्य वार्मिग वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के लिए जिम्मेदार हैं. इसके साथ ही भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरपश्चिम भाग में अचानक से ठंड के मौसम में बरसात हुई, जिससे देश के कुछ शहरों में दिन का तापमान 12 डिग्री से नीचे हो गया.

शीर्ष वैज्ञानिकों को आशंका है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की बेरुखी सामने आई है और अप्रत्याशित मौसम की यह स्थिति लोगों को परेशान करती रहेगी. पुणे के सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च (सीसीसीआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. भूपिंदर बी.सिंह ने कहा, ‘’अनुमान है कि आने वाले सालों में हिमालयी क्षेत्र और गंगा के मैदानी क्षेत्र जिसमें पूरा उत्तर भारत शामिल है, मौसम को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं और यहां के लोगों को मौसम की बेरुखी झेलनी पड़ सकती है.’’

आम तौर पर ज्यादा ठंड की अवधि 5 या 6 दिनों होती है, लेकिन इस साल 13 दिसंबर से तापमान में गिरावट जारी है. यह अप्रत्याशित है. हालांकि, अब ऐसा लगता है कि 31 दिसंबर के बाद ही राहत मिल सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि 16 से 17 दिनों से अधिक समय तक इस तरह के ठंडे मौसम का होना असामान्य है.

भीषण शीतलहर से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सामान्य जीवन प्रभावित हुआ है. उत्तर प्रदेश में बीते 48 घंटों में 38 लोगों के मौत की सूचना है. हालांकि विभिन्न जिलों से कुल मौतों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. शीतलहर ने बिहार को भी चपेट में ले लिया है, जहां पटना, गया, भागलपुर और पूर्णिया जिलों में पारे में असामान्य गिरावट की वजह से कई मौतें हुईं हैं.

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