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कड़ाके की ठंड में दो हफ्ते से धरने पर बैठे अतिथि विद्वान जानिए क्यों..

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते 18 दिन से अतिथि विद्वान (गेस्ट फेकल्टी) धरने पर डटे हुए हैं. इस कड़कड़ाती ठंड में जहां लोग घरों से बाहर निकलने से कतराते हैं, वहीं अतिथि विद्वान कमलनाथ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर धरने पर बैठे हैं.

मध्य प्रदेश में लंबे समय से अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण किया जाएगा लेकिन कुछ दिनों से अतिथि विद्वानों को नौकरी से बाहर करने के आदेश दिए जा रहे थे. जिसके बाद उन्होंने सरकार के सामने अपनी समस्या रखी और जब समाधान नहीं हुआ तो भोपाल में सैकड़ों अतिथि विद्वानों ने धरना देना शुरू कर दिया.

फिलहाल धरने को 18 दिन से ज्यादा का वक्त हो गया है. आजतक ने धरना स्थल पर जाकर अतिथि विद्वानों से बातचीत की और जाना कि सरकार पर ये वादाखिलाफी का आरोप क्यों लगा रहे हैं. धरना स्थल पर जाने से पता चला कि कैसे इन अतिथि विद्वानों को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है. ठंड की परवाह किए बिना यह अपने बच्चों के साथ कई दिनों से धरने पर हैं, इनकी कहानी सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा.

शहडोल की अर्चना जायसवाल अपनी एक साल की बच्ची के साथ धरने पर बैठी हैं. ठंड में बच्ची बीमार हो गई है. रुंधे गले से अर्चना ने कहा कि नौकरी मिलने का आदेश जब तक नहीं मिलेगा यहीं ठंड में बच्ची के साथ धरना देती रहूंगी. चाहे जान चली जाए. वहीं सिरोज कॉलेज में पढ़ाने वाली अज़रा खान की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. फालेन आउट आदेश मिलने के बाद से ये पिछले 16 दिन से भोपाल में अपने 5 साल के बेटे के साथ धरने पर बैठी हैं. बेटा भी तब से स्कूल नहीं गया और अब स्कूल से नाम कटने का डर अलग सता रहा है. यही हाल मेहर कॉलेज की रीना मिश्रा और रीवा के जीडीसी कॉलेज की अनुपमा मिश्रा का है, जो अपने-अपने बच्चों के साथ इस कड़कड़ाती ठंड में धरने पर बैठीं हुई हैं

दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने वचनपत्र में कहा था कि अतिथि विद्वानों को नियमित करने के लिए समिति बनाई जाएगी और इन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा. हालांकि हाल ही में पीएससी से चयनित विद्वानों को नौकरी का आदेश जारी करने के बाद अतिथि विद्वानों यानी गेस्ट फेकल्टी के पास फालेन आउट आदेश आने शुरू हो गए हैं. धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों की दयनीय हालत और उनकी मांगों के बारे में आजतक ने जब मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री से बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी अतिथि विद्वान की नौकरी नहीं जाएगी.

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, हमने वचन दिया है और उसे पूरा करेंगे. इसके साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने अतिथि विद्वानों से धरना खत्म करने की अपील भी की है. उन्होंने साफ किया कि सरकार मामले को गंभीरता से ले रही है. खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि किसी भी अतिथि विद्वान की नौकरी नहीं जाने दी जाए.

इस मामले ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है. सूबे के विपक्षी दल ने कमलनाथ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि ठंड में अतिथि विद्वानों की इस हालत की ज़िम्मेदार सरकार है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके साथ ही बीजेपी ने याद दिलाया कि कैसे सरकार अबतक कर्जमाफी, बाढ़ राहत राशि, फसल बीमा योजना और यूरिया वितरण में नाकाम रही है. हालांकि सरकार भले ही इनके साथ नाइंसाफी ना होने की बात कह रही है लेकिन अतिथि विद्वानों ने साफ कर दिया है कि जबतक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता तब तक वो अपना धरना खत्म नहीं करेंगे.

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