बिलासपुर के कंदरौर पुल से हमीरपुर के बीच करीब 45 किलोमीटर के नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 280 करेाड़ रुपये के घोटाले में अब मुख्यमंत्री कार्यालय सख्त हो गया है। सड़कों को दुरुस्त करने को लेकर जयराम सरकार के प्रयासों पर एनएच के अधिकारियों और ठेकेदारों के खेल से पानी फिरने पर सीएम कार्यालय ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से इस घपले से संबंधित जांच रिपोर्ट तलब कर ली है।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को प्रदेश के गुणवत्ता निगरानी सेल ने जांच के लिए कहा था। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में जिस ठेकेदार को काम दिया गया था उसकी और एचएच के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आ रही है। हालांकि आधिकारिक तौर पर जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
बता दें, केंद्र सरकार ने इस 45 किलोमीटर के पैच के लिए 280 करोड़ रुपये जारी किए थे। एचएच के अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर कागजों पर सड़क पर काम कर दिया लेकिन हकीकत में हालात खराब है। राज्य सरकार ने सितंबर महीने में हमीरपुर कंदरौर नेशनल हाइवे के निर्माण कार्य की जांच के आदेश दे दिए । प्रारंभिक जांच में पता चला कि 45 किमी लंबे इस नेशनल हाइवे के निर्माण कार्य में भारी अनियमितता बरती गई है।
इसमें न तो पुल का निर्माण सही तरह से किया गया है और न ही सड़क की टारिंग ठीक हुई है। जहां पर टारिंग हुई है वह उखड़ गई है। सड़क की कटिंग, लेबल भी सही नहीं किया गया है। कुल 11 पुल इस नेशनल हाइवे में बनाए जाने प्रस्तावित थे लेकिन अभी तक 3 पुलों का निर्माण किया ही नहीं गया है।
दरअसल, 45 किलोमीटर लंबी यह सड़क पहले भी एनएच थी लेकिन इसकी चौड़ाई कुछ कम थी। इसके अलावा पुल भी छोटे थे जिसकी वजह से परिवहन में दिक्कत आ रही थी। केंद्र से पैसा मिलने के बाद नेशनल हाइवे ने निजी फर्म को प्रस्तावित कार्य पूरा करने के लिए जिम्मेदारी दी थी लेकिन चार साल में यह नेशनल हाईवे बनकर तैयार नहीं हुआ।
इसके बाद ही पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से नेशनल हाइवे के इस घपले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय कुंडू ने कहा कि हमीरपुर कंदरौर नेशनल हाइवे की जांच रिपोर्ट मांगी गई है। भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को जयराम सरकार में बख्शा नहीं जाएगा।