केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान करने वाला कानून बनाया है, लेकिन मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने उसे अबतक लागू नहीं किया था. अब कमलनाथ सरकार के परिवहन विभाग ने मध्यप्रदेश में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की नई दरों का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. मोदी सरकार के उलट कमलनाथ सरकार ने जुर्माने की रकम को कम कर दिया है.
मोदी सरकार ने भले ही ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर भारी भरकम जुर्माने का लागू कर दिया था लेकिन कांग्रेस शासित मध्यप्रदेश ने भारी जुर्माने को लागू करने से इनकार कर दिया था और अब ये तय हो गया है कि कमलनाथ सरकार कम से कम मोदी सरकार द्वारा बनाये गए कठोर नियमों को लागू नहीं करेगी.
मध्यप्रदेश सरकार के परिवहन विभाग ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माने की जो नई दरें प्रस्तावित की है वो केंद्र की जुर्माना दरों से ना केवल कम है बल्कि नए जुर्माने में सख्ती भी मोदी सरकार के मुकाबले कम है. दरअसल, परिवहन विभाग ने जो नया प्रस्ताव तैयार किया है वो मध्यप्रदेश के वर्तमान जुर्माना राशि से भले ही ज्यादा है लेकिन मोदी सरकार के जुर्माने की राशि के मुकाबले ये बेहद कम है.
आपको बताते हैं कि ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले में मोदी सरकार और कमलनाथ सरकार के जुर्माने में कितना अंतर है केंद्र सरकार द्वारा हेलमेट ना लगाने पर 500 से 1500 रुपये तक का जुर्माना है तो वहीं मध्यप्रदेश में इसके लिए 400 रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है. बिना लाइसेंस ड्राइविंग पर केंद्र का जुर्माना 3 महीने की जेल और 5 हजार रुपये का फाइन है तो वहीं मध्यप्रदेश में इसके लिए 1 हजार रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है.
बिना पीयूसी ड्राइविंग पर केंद्र सरकार की ओर 10 हजार रुपये जुर्माना है तो वहीं मध्यप्रदेश में इसके लिए सिर्फ 1 हजार का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है. बिना सीट बेल्ट ड्राइविंग पर केंद्र के कानून में जुर्माना 1 हजार रुपये है. वहीं एमपी में इसके लिए 500 रुपये प्रस्तावित है. ट्रिपल राइडिंग पर केंद्र सरकार ने 3 महीने की जेल या 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है तो एमपी में इसके लिए मात्र 400 रुपये जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया गया है.ज्यादा हॉर्न बजाने पर मोदी सरकार के 2000 रुपये के जुर्माने को मध्यप्रदेश में घटाकर सिर्फ 500 रुपये प्रस्तावित किया गया है. बिना इंश्योरेंस ड्राइविंग पर केंद्र के 3 महीने की जेल और 2 हजार रुपये के जुर्माने को एमपी में घटाकर 1 हजार रुपये प्रस्तावित किया गया है.
परिवहन विभाग के कमिश्नर व्ही. मधुकुमार के मुताबिक प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है और जल्द ही कैबिनेट इसपर कोई फैसला ले लेगी. व्ही. मधुकुमार के मुताबिक कैबिनेट को ही अब तय करना है कि प्रस्ताव में दी गयी दरों को घटाना है, बढ़ाना है या प्रस्तावित जुर्माना यथावत रखना है.कमलनाथ सरकार के कानून और जनसम्पर्क मंत्री ने मोदी सरकार के मुकाबले जुर्माना कम रखने की वजह बताते हुए कहा कि मोदी सरकार में महंगाई पहले से बढ़ी हुई है, रोजगार है नहीं और ऊपर से इतना महंगा जुर्माना बना दिया कि लोग चुका नहीं पाते इसलिए हमने जुर्माना भी लगाया है लेकिन ध्यान रखा है कि लोग उसे चुका भी सकें.
हालांकि जुर्माने की राशि घटाने के प्रस्ताव पर बीजेपी ने आपत्ति उठायी है. बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि कांग्रेस खुद अनुशासनहीन पार्टी है इसलिए जनता में अनुशासन नहीं फैलाना चाहती है और इसलिए वो मामूली जुर्माना रख रही है जबकि मोदी सरकार ने भारी जुर्माना इसलिए रखा ताकि उसके डर से लोग नियमों का पालन शुरू करें और दुर्घटना में कमी आए.