केंद्र सरकार के खिलाफ आठ जनवरी की देशव्यापी हड़ताल को लेकर हिमाचल प्रदेश में भी हलचल है। विभिन्न ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी संगठनों मजदूर संगठनों, निजी आपरेटर्स संगठनों ने बुधवार को केंद्र की नीतियों के खिलाफ हल्ला बोलने के लिए कमर कस ली है। राजधानी शिमला समेत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में हड़ताल के दौरान प्रदर्शन और सभाएं आयोजित होंगी। शिमला में होने वाले मुख्य प्रदर्शन के दौरान पंचायत घर से डीसी दफ्तर और सब्जी मंडी तक विरोध रैली निकाली जाएगी।
बताया जा रहा है कि सीटू, इंटक, एटक सहित देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और बीएसएनएल, एलआईसी, बैंक, पोस्टल, एजी ऑफिस, केंद्रीय कर्मचारियों की अन्य यूनियनें, रोड ट्रांसपोर्ट, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, एचपीएसईबी, बिजली मजदूर, मनरेगा, निर्माण व सार्वजनिक क्षेत्र के मजदूरों की यूनियनें हड़ताल में शामिल होंगी। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह व एटक के राज्य अध्यक्ष जगदीश भारद्वाज ने दावा किया कि प्रदेश भर के हजारों मजदूर व कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगेउन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर कार्य कर रही है। केंद्र की गलत नीतियों के कारण पिछले पांच वर्षों में देश में साढ़े चार करोड़ मजदूरों की नौकरियां चली गई हैं। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने मांग की है कि मजदूरों को 21 हजार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए। आउटसोर्स व ठेका मजदूरों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक नियमित मजदूरों की तर्ज पर समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए।
आंगनबाड़ी, मिड-डे मील और आशा वर्कर्स को नियमित किया जाए। मोटर व्हीकल एक्ट में ट्रांसपोर्टर विरोधी संशोधन वापस लिए जाएं। मनरेगा व निर्माण मजदूरों के कल्याण बोर्ड को मजबूत किया जाए। आउटसोर्स के लिए ठोस नीति बनाई जाए। वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए। स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट सख्ती से लागू हो। ट्रेड यूनियनों की हड़ताल को बैंक कर्मचारियों की यूनियनें भी समर्थन दे रही हैं। ऐसे में बुधवार को प्रदेश के कई बैंकों में कामकाज प्रभावित रहने के आसार हैं। कई बैंकों पर ताले लटकने और कई बैंकों में स्टाफ की कमी रहने की आशंका है।