क्या केंद्र सरकार बाढ़ राहत के बहाने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनकी राजनैतिक हैसियत का अहसास दिला रही है. यह सवाल तब उठा जब बीते मंगलवार केंद्र द्वारा राज्यों को बाढ़ राहत के लिए 5908 करोड़ रुपए जारी किए गए. बिहार में पिछले साल दो बार भीषण बाढ़ आई लेकिन इसके बावजूद बिहार की मांग पर विचार नहीं किया गया. मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा राहत फंड में राज्यों की मांग पर विचार के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं.
इस बैठक में कर्नाटक को सर्वाधिक 1869 करोड़ रुपए राहत राशि दी गई. मध्य प्रदेश को 1749 करोड़ रुपए और उत्तर प्रदेश को 956 करोड़ रुपए की राशि देने का निर्णय हुआ. इससे पहले भी कर्नाटक को 1200 करोड़, मध्य प्रदेश को एक हजार करोड़ और महाराष्ट्र को 600 करोड़ रुपए की राहत राशि मुहैया कराई गई थी. उस समय बिहार को 400 करोड़ रुपए दिए गए थे. बिहार में बाढ़ राहत की मद में नुकसान और पुनर्वास के मद में केंद्र से 4000 करोड़ रुपए की सहायता मांगी गई थी. एक केंद्रीय टीम ने राज्य का दौरा भी किया था. मंगलवार की बैठक के बाद जब बिहार सरकर ने जानकारी मांगी कि आखिर किन कारणों से राज्य की मांग पर विचार नहीं किया गया, तब उन्हें बताया गया कि केंद्रीय टीम जल्द राज्य का फिर से दौरा करेगी.
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा कि यह बिहार और बिहार की जनता के साथ खुल्लम-खुला पक्षपात है और इसका कारण हैं नीतीश कुमार. मुख्यमंत्री हर मुद्दे पर बीजेपी की खुशामद करते हैं. केंद्र को उनकी राजनैतिक हैसियत का पता लग गया है. वहीं, कांग्रेस पार्टी के विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि केंद्र सरकार नीतीश कुमार को नहीं बल्कि बिहार की जनता को डबल इंजन की सरकार के नाम पर उल्लू बना रही है.