ऊना। नागरिक अस्पताल दौलतपुर चौक में बच्ची की मौत के दर्दनाक हादसे की विभागीय जांच की आंच भी अस्पताल में काम करने आए प्लंबर तक पहुंच गई है। पुलिस ने प्लंबर के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी प्लंबर पर सवाल उठाए हैं।
सीएमओ की विभागीय जांच रिपोर्ट में प्लंबर को हादसे का दोषी माना गया है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य सचिव ने सीएमओ को हादसे की विभागीय जांच के आदेश दिए थे। जांच में सीएमओ डॉ. रमन कुमार की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल प्रशासन ने सीवरेज के ढक्कन ढक कर रखने के निर्देश प्लंबर को दिए थे। उसने अपना काम करने में लापरवाही की, जिस वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया। इससे ढाई वर्षीय बच्ची की जान चली गई। सीएमओ ने यह जांच रिपोर्ट अस्पताल प्रशासन से बयान के आधार पर बनाई है और इसकी रिपोर्ट बना कर सचिव स्वास्थ्य विभाग को प्रेषित कर दी है।
सीएमओ ने संबंध में कहा कि अस्पताल के सीवरेज टैंक में बारिश का पानी घुस जाता था। इसकी रिपेयर के लिए प्लंबर को बुलाया गया। प्लंबर ने मेन होल को एक फुट ऊंचा तो कर दिया, लेकिन बाद में उस पर ढक्कन चढ़ाए बिना ही खाना खाने चला गया। पीछे से दर्दनाक हादसा हो गया। उन्होंने कहा कि माता-पिता की लापरवाही भी इसमें सामने आ रही है। जांच रिपोर्ट सवालों के घेरे में
शुक्रवार दोपहर को दौलतपुर अस्पताल में दंपती किसी मरीज का हालचाल जानने आया था। उनकी करीब ढाई वर्षीय बेटी की अस्पताल के खुले सीवरेज में गिर कर मौत गई थी। पुलिस ने इस मामले में प्लंबर शादी लाल को आरोपी बनाया था। प्लंबर ने एक वीडियो बयान के माध्यम से खुलासा किया था कि वह पाइप लाइन की ब्लॉकेज ठीक करने गया था, जबकि सीवरेज के मेन होल पहले से ही खुले थे।
अब विभाग द्वारा की गई जांच पर भी सवालिया निशान लग गया है। सवाल उठता है कि किसी भी सरकारी भवन में सिविल कार्य करने के मानकों के तहत विभाग ने प्लंबर को एक मैसन का कार्य कैसे दे दिया। सूत्र बताते हैं कि अस्पताल में करीब चार सीवरेज के मेनहोल पहले से खुले थे, जिन पर बोरी और गत्ते आदि रखे गए थे। ऐसे में क्या उन मेल होल पर ढक्कन लगाने की जिम्मेवारी क्या प्लंबर की थी।