छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने शिक्षा विभाग के पांच पूर्व व वर्तमान अधिकारियों से पूछताछ की। जांच आगे बढ़ा रही सीबीआई ने मंगलवार को पांच अधिकारियों से घंटों लंबी पूछताछ कर यह समझने का प्रयास किया कि कैसे बिना उनकी जानकारी या रजामंदी के विभाग का एक बाबू पैसों का मनमानी से वितरण करता रहा।
दरअसल, तत्कालीन कनिष्ठ सहायक और अब अधीक्षक अरविंद राजटा ने गिरफ्तारी से पहले हुई पूछताछ में कहा था कि उसने सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन किया है। खास बात यह है कि उस समय सीबीआई ने जांच की बात तो नहीं की, लेकिन अब राजटा का रोल साफ होने के बाद वह उससे ऊपर के अधिकारियों पर शिकंजा कस रही है। सीबीआई के सवालों से अफसरों की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
सूत्रों का कहना है कि कोई भी अफसर इस बात पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया कि जब पैसे का वितरण हो रहा था तो वह क्या कर रहे थे। कैसे उनकी नजर कुछ चुनिंदा संस्थानों को हर बार हो रहे लाखों-करोड़ों रुपये के आवंटन पर नहीं पड़ी। चूंकि, दस्तावेजों में राजटा के नहीं, बल्कि इन्हीं अफसराें के हस्ताक्षर हैं, ऐसे में उनके लिए अपनी जिम्मेदारी से बचना मुश्किल हो गया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि सीबीआई पूछताछ में बुलाए जा रहे कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी कर सकती है। उल्लेखनीय है कि जयराम सरकार की सिफारिश पर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही सीबीआई अब तक शिक्षा विभाग के एक अधीक्षक समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। चूंकि, कई शैक्षणिक संस्थान इस घोटाले में शामिल पाए जा रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मामले में गिरफ्तारियां भी बढ़ सकती हैं।