हिमाचल के सरकारी स्कूलों में नियुक्त करीब 15 हजार अस्थायी शिक्षकों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाले मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखते हुए हिमाचल सरकार से एक सप्ताह के भीतर सभी श्रेणियों के शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता का ब्योरा देने के आदेश दिए हैं। ऐसे में फरवरी के तीसरे हफ्ते तक फैसला आने की संभावना है।
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर 15 हजार पीटीए, पैट, पैरा और जीवीयू का भविष्य टिक गया है। अगर कोर्ट शिक्षकों के हक में फैसला सुनाता है तो हजारों शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। अगर फैसला हक में नहीं होता है तो शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा हो सकता है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 12 की आइटम नंबर 113 पर लगे इस मामले की सुनवाई के दौरान हिमाचल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता परमजीत सिंह पटवालिया और अधिवक्ता मनीष पांडे ने पैरवी की।
पीटीए की ओर से अधिवक्ता सीए सुंदरम, पैट की ओर से अधिवक्ता मनिंद्र सिंह और पैरा के प्रतिवादी राममूर्ति की ओर से अधिवक्ता एसएन भट्ट ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान सर्विस रूल 1973 को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद प्रदेश सरकार को सभी स्थायी और अस्थायी शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता का ब्योरा देने के आदेश दिए।संभावित है कि इस जानकारी के मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। बता दें कि नौ दिसंबर 2014 को हिमाचल हाईकोर्ट ने अस्थायी शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। फैसला आने के बाद राज्य सरकार ने 10 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके पैरा शिक्षकों को नियमित किया था। सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके पीटीए शिक्षकों को अनुबंध पर लाया था।
इसी बीच प्रतिवादी राममूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट में कैविट दायर कर दी। 22 जनवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर यथा स्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए। इसके चलते प्रदेश सरकार शिक्षकों को नियमित नहीं कर पा रही है। पीटीए, पैट और पैरा शिक्षक बीते कई सालों से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं।