राजाभाेज एयरपोर्ट पर रविवार शाम उत्पात मचाने वाले योगेश त्रिपाठी से पुलिस अब तक यह नहीं उगलवा सकी है कि वह किस मकसद से एयरपोर्ट में घुसा था…और उसने वहां तोड़फोड़ क्यों की? इस मामले में हुई गंभीर चूक पर अफसरों का एक ही तर्क है कि योगेश सिरफिरा है, पब्लिसिटी के लिए उसने यह कदम उठाया है। हालांकि, लापरवाही के लिए जिम्मेदार गांधी नगर थाना प्रभारी तरुण भाटी और एसएएफ के जवान संजय यादव समेत चार जवानों को सस्पेंड कर दिया गया है। इधर, सोमवार को स्टेट हैंगर पहुंचे एडीजी इंटेलीजेंस एसडब्ल्यू नकवी ने इस चूक पर डीआईजी इरशाद वली समेत अन्य अधिकारियों की क्लास ली और नाराजगी जाहिर की।
गौरतलब है कि 1100 क्वार्टर निवासी योगेश त्रिपाठी चकमा देकर एयरपोर्ट में प्रवेश किया था। इस दौरान उसने हेलिकॉप्टर को नुकसान पहुंचाया। वहीं स्पाइसजेट की उदयपुर फ्लाइट के टेकऑफ से ठीक पहले वह रन वे पर जहां पहुंचा। इसके चलते फ्लाइट को अचानक रोकना पड़ा।
साेमवार…शाम 4:10…मजिस्ट्रेट राेहित श्रीवास्तव की अदालत… कटघरे में खड़ा योगेश त्रिपाठी। मजिस्ट्रेट ने उससे पूछा-तुम्हारा नाम क्या है? उसने जबाव दिया- सिग्मा 0047। मजिस्ट्रेट ने फिर पूछा- कहां काम करते हो? योगेश बोला- सीआईएसएफ में। मजिस्ट्रेट ने योगेश से पूछा कि तुम्हारा कोई वकील है? तुम्हारे घर से कोई आया है? तो उसने कोई जबाव नहीं दिया और कोर्ट रूम की छत की तरफ देखने लगा। मजिस्ट्रेट के पूछने पर पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपी के पिता को गिरफ्तारी की सूचना दी गई है। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी को विधिक सहायता से वकील दिलाए जाने के आदेश दिए। कटघरे में खड़ा योगेश कभी हथकड़ी की तरफ देखता तो कभी पुलिसवालों की तरफ। कोर्ट में जब तक आरोपी मौजूद रहा पूरे समय असामान्य व्यवहार करते देखा गया।
गांधी नगर थाने से एसआई आरबी शर्मा और एएसआई कन्हैया यादव ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया और उससे पूछताछ के लिए 5 दिन की रिमांड मांगी। मजिस्ट्रेट ने लिखा कि आरोपी ने अनधिकृत रूप से स्टेट हैंगर में प्रवेश कर एयरपोर्ट में नुकसान पहुंचाया है। आरोपी रनवे पर भी आ गया था, जिससे यात्री विमान को इमरजेंसी में रोकना पड़ा। विमान में बैठे यात्रियों की जान को और एयरपोर्ट की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ। जांच में प्रथम दृष्टया आरोपी से पूछताछ की जरूरत है। अपराध की प्रकृति एवं अपराध को देखते हुए 5 दिन का रिमांड दिया जाता है। आरोपी को 7 फरवरी को 3 बजे अदालत में हाजिर रखा जाए। मजिस्ट्रेट ने लिखा कि जांच के दौरान आरोपी पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल न किया जाए। पुलिस रिमांड शुरू होने से पेश करने के दिन तक रोजाना आरोपी को मेडिकल परीक्षण केस डायरी में लगाया जाए।