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2015 से 2018 के बीच जरूरी समानों की किल्लत से जूझ रही थी सेना CAG की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा…

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सेना के शौर्य के बारे में कुछ कहने और लिखने की जरूरत नहीं है. हमारे वीर जवान सीमा पर सजग हैं, तभी देश सुरक्षित हैं. इस बीच भारतीय सेना को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसने सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं.  भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की एक रिपोर्ट लोकसभा में पेश की गई जिसमें 2015-16 से 2017-18 के बीच सैनिकों के लिए जरूरी सामानों की किल्लत का जिक्र किया गया है.

साल 2015-16 और 2017-18 की ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने सैनिकों के कपड़ों से लेकर राशन तक की सप्लाई में देरी का जिक्र किया है. सियाचिन और डोकलाम जैसी देश की बर्फीली सरहदों पर तैनात सैनिकों को ईसीसीई यानी एक्सट्रीम कोल्ड क्लोथिंग एंड इंक्यूप्मेंट के तहत सामानों की सप्लाई होती है, जिसमें खास तरह के जूते, कोट, दस्ताने और स्लिपिंग बैग की सप्लाई होती है. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें कई चीजों को जवान एक्सपायरी डेट के बाद भी इस्तेमाल कर रहे थे. रिपोर्ट में जिक्र है कि सप्लाई में देरी की वजह से बेहद ठंडे इलाकों में तैनात सैनिकों को पुराने जूते फिर इस्तेमाल करने पड़े. खास तरह के ये जूते -55 डिग्री तापमान में सैनिकों को ठंड और बर्फ से बचाते हैं.

सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में इनमें कमी दिखी, जिससे गर्मियों में ये जूते सैनिकों को नहीं मिल सके. रिपोर्ट में कहा गया कि 297 ऑक्सीजन सिलेंडर सैनिकों को तब भी जारी किए नहीं जा रहे थे, जब उसके इस्तेमाल की तारीख सितंबर 2014 में खत्म हो चुकी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो ने जून 2018 महानिदेशक आयुध सेवा को इसकी सूचना भी दी थी. सीएजी की रिपोर्ट से साफ है कि सामानों की कमी नहीं थी, लेकिन सप्लाई की प्रक्रिया और सिस्टम की सुस्ती की वजह से जवानों तक जरूरी चीजें पहुंचने में देरी हुई. दिसंबर 2019 में इस रिपोर्ट को राज्यसभा में पेश किया गया था, लेकिन लोकसभा में नहीं रखा जा सका था. अब इसे लोकसभा में पेश करने के साथ सार्वजनिक भी किया गया है.

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