Home समाचार टैक्स एक्सपर्ट और एडवोकेट रवि गुप्ता का कहना है कि पहले तीनों...

टैक्स एक्सपर्ट और एडवोकेट रवि गुप्ता का कहना है कि पहले तीनों को मिलाकर कोई सीमा नहीं होती थी. उन्‍होंने कहा, “सरकार ने बजट में प्रस्ताव लाया है कि इन तीनों को मिलाकर टैक्स छूट की सीमा 7.5 लाख रुपये किया जाए. इसके अलावा सालाना ब्याज, लाभांश जैसी कई और आमदनी इंप्लाई को होती है और वह 7.5 लाख से ज्यादा होती है तो यह इनकम कर्मचारी के वेतन में जुड़ जाएगा और सरकार उस पर टैक्स लगाएगी.” ये भी पढ़ें- …इन 21 प्वाइंट्स में जानें बजट से जुड़ी हर बात नया नियम केवल इंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर लागू होगा, कर्मचारी के नहीं. एक आला अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सरकार को यह पता लगा है कि बड़ी सैलरी लेने वाले अधिकारी और कंपनियां ईपीएफ, पेंशन और सुपरएनुएशन के मौजूदा नियमों का बेजा इस्तेमाल कर रही हैं. सैलरी ऐसे डिजाइन की जा रही है जिसमें कम से कम टैक्स देना पड़े.अभी के नियमों में किसी भी प्वाइंट पर टैक्स नहीं लगता था. लेकिन अब एक सीमा तय होने के बाद बड़ी सैलरी वाले इंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन के नाम पर टैक्स नहीं बचा पाएंगे…

8
0
SHARE

बीते 1 फरवरी को आम बजट में सरकार ने कई बड़े ऐलान किए. इसी के तहत एक ऐसा ऐलान किया जिसके लागू होने के बाद मोटी तनख्वाह वाले कर्मचारियों को ज्यादा टैक्स देना होगा.दरअसल, बजट के प्रस्‍ताव के मुताबिक अब कर्मचारी भविष्य निधि यानी EPF से लेकर पेंशन और सुपरएनुएशन फंड पर आपका एम्प्लॉयर 7.50 लाख से ज्यादा कंट्रीब्यूट करता है तो उस पर कर्मचारी को टैक्स देना होगा. नए बजट के फरमान के मुताबिक 7.50 लाख की लिमिट से ज्यादा की रकम पर टैक्स के साथ-साथ उस पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्सेबल होगा. बजट के नए नियमों का सबसे ज्यादा असर मोटी तनख्वाह पाने वाले कर्मचारियों पर पड़ेगा.

मान लीजिए किसी बड़े अधिकारी की सैलरी 2 करोड़ रुपये सालाना है. एम्प्लॉयर ने 12 फीसदी यानी 24 लाख रुपये उसके पीएफ एकाउंट में जमा किया. अभी तक यह 24 लाख रुपये की रकम टैक्स फ्री थी लेकिन नए बजट के बाद 16.5 लाख रुपए (24 लाख -7.5 लाख ) उस अधिकारी या कर्मचारी की सैलरी में जुड़ जाएगा. इस पर उसे टैक्स देना होगा. एम्प्लॉयर, ईपीएफ के अलावा राष्ट्रीय पेंशन योजना और सुपरएनुएशन में भी कंट्रीब्यूट करता है. साढ़े सात लाख रुपए की सीमा तीनों को मिलाकर है. मौजूदा समय में ईपीएफ कंट्रीब्यूशन की सीमा 12 फीसदी, नेशनल पेंशन स्कीम में 10 फीसदी (सरकारी कर्मचारियों के लिए 14 फीसदी) और सुपरएनुएशन में 1.5 लाख रुपये है. इस कंट्रीब्यूशन पर कोई टैक्स नहीं लगता था. अब तीनों को मिलाकर अगर कंट्र्ब्यूशन साढ़े सात लाख से ज्यादा हुआ तो उस पर सरकार टैक्स वसूलेगी

टैक्स एक्सपर्ट और एडवोकेट रवि गुप्ता का कहना है कि पहले तीनों को मिलाकर कोई सीमा नहीं होती थी. उन्‍होंने कहा,  “सरकार ने बजट में प्रस्ताव लाया है कि इन तीनों को मिलाकर टैक्स छूट की सीमा 7.5 लाख रुपये किया जाए. इसके अलावा सालाना ब्याज, लाभांश जैसी कई और आमदनी इंप्लाई को होती है और वह 7.5  लाख से ज्यादा होती है तो यह इनकम कर्मचारी के वेतन में जुड़ जाएगा और सरकार उस पर टैक्स लगाएगी.” नया नियम केवल इंप्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर लागू होगा, कर्मचारी के नहीं. एक आला अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सरकार को यह पता लगा है कि बड़ी सैलरी लेने वाले अधिकारी और कंपनियां ईपीएफ, पेंशन और सुपरएनुएशन के मौजूदा नियमों का बेजा इस्तेमाल कर रही हैं. सैलरी ऐसे डिजाइन की जा रही है जिसमें कम से कम टैक्स देना पड़े.अभी के नियमों में किसी भी प्वाइंट पर टैक्स नहीं लगता था. लेकिन अब एक सीमा तय होने के बाद बड़ी सैलरी वाले इंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन के नाम पर टैक्स नहीं बचा पाएंगे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here