प्रदेश भर की प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में निर्भीक वातावरण बनाए रखने के लिए अगले सत्र से नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत शिक्षकों की जिम्मेदारी होगी कि वह छात्रों को चिढ़ाने, डराने और धमकाने जैसी प्रवृत्तियों को प्रतिबंधित करें ताकि छात्र निर्भीक होकर स्कूल आएं और स्कूल का वातावरण अच्छा रहे।
इसके अलावा पूरी साल छात्रों को सिखाया जाएगा कि वह विभिन्न प्रकार के खतरों में फंसने के बाद कैसे खुद को उसमें से निकालेंगे। ऐसे खतरों की सूची बनाई जाएगी और साल भर इनसे बचने के तरीके भी छात्रों को सिखाए जाएंगे। इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र की संचालक आईरिन सिंथिया जेपी ने सभी जिलों के कलेक्टर को पत्र भेजा है। इसके अलावा स्कूल में शाला सुरक्षा डिस्प्ले बोर्ड भी लगाना होगा।
स्कूल समाप्ति के पश्चात् कोई भी छात्र स्कूल की बिल्डिंग में कैंपस में नहीं रह जाए। छात्र और शिक्षक स्कूल की सुरक्षा के संबंध में एक दिन आवश्यक रूप से चर्चा करेंगे। स्कूल में सामान्य रूप से स्वस्थ और निर्भीक वातावरण निर्मित किया जाए तथा चिढ़ाने, डराने-धमकाने जैसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाया जाए। स्कूल में छात्रों को भूकंप, बाढ़, आगजनी एवं भगदड़ की स्थिति से निपटने के लिए समय-समय पर मॉकड्रिल भी करवाई जाए। स्कूल में सुरक्षा पेटी रखी जाए। स्कूल के सुरक्षा बोर्ड पर चाइल्ड हेल्प लाइन, फायर ब्रिगेड, पुलिस कंट्रोल रूम, हॉस्पिटल, राज्य हेल्पलाइन के फोन नंबर लिखे होना चाहिए।
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