चीन से लौटे हिमाचल के शिक्षकों में कोरोना का खौफ इस कद्र हावी है कि वे चिकित्सकों पर हर हाल में टेस्ट करवाने का दबाव बनाने लगे हैं। शिक्षक मेडिकल सर्टिफिकेट लेने अस्पताल पहुंचे। हालांकि, इनमें कोरोना के किसी तरह के लक्षण नहीं पाए गए हैं, लेकिन कुछ शिक्षक जबरदस्ती चिकित्सकों पर टेस्ट करवाने का दबाव बनाते रहे।
आईजीएमसी में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, लेकिन बाद में मामला शांत हो गया। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कई शिक्षक विदेशों में घूमने गए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में शिक्षकों की संख्या बढ़ सकती है। विभाग का कहना है कि ये शिक्षक किसी भी दिन अस्पताल आकर अपनी जांच करवा सकते हैं। कोरोना वायरस का टेस्ट उसी का किया जाएगा, जिनमें लक्षण होने की संभावना हो।
विदेशों से घूमकर आए शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देने को कहा है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ऐसे शिक्षक जो दूसरे देशों में यात्रा करके लौटे हैं, अस्पताल की ओपीडी में आकर अपनी जांच करवाकर मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट ले सकते हैं।
इसके लिए शिक्षकों को अपनी पूरी जानकारी कार्यक्रम अधिकारी को देनी होगी। चिकित्सक बाद में इन पर निगरानी रख सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग का यह भी कहना है कि जिन लोगों में लक्षण नहीं पाए गए है, उन्हें किसी भी तरह से डरने की जरूरत नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला शिमला डॉ. जितेंद्र चौहान ने बताया कि वीरवार को कॉलेज की एक शिक्षिका ने जांच करवाई थी। महिला को चिकित्सकों ने मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट दे दिया है। महिला में किसी भी तरह के लक्षण नहीं हैं।