भाेपाल . चांदबड़ निवासी पांच वर्षीय ओम इलाज के लिए एक से दूसरे शहर के बीच भटक रहा है। लेकिन, उसका इलाज शुरू नहीं हाे पा रहा है। सरकार से आर्थिक मदद नहीं मिलने पर ओम के परिजनाें ने बेंगलुरू के बीजीएस ग्लाेबल हाॅस्पिटल और माया फाउंडेशन से संपर्क किया था। वहां से नि:शुल्क इलाज का आश्वासन मिलने पर परिजन 10 फरवरी काे परिजन बेंगलुरू गए थे।
ओम की मां सुनीता कुशवाह ने बताया कि संस्था ने छह दिन में एप्रूवल आने के बाद इलाज शुरू करने की बात कही। परिजनाें ने स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिए गए पत्र के आधार पर एस्टीमेट बनाने काे कहा ताे अस्पताल ने इनकार कर दिया। ओम की हालत बिगड़ रही है। ऐसे में छह दिन इंतजार करते और अगर एप्रूवल नहीं मिलता ताे ओम की हालत ताे और ज्यादा खराब हाे जाती। इस आशंका काे देखते हुए परिजन गुरुवार रात वापस लाैट आए थे। वे शुक्रवार रात दिल्ली के लिए रवाना हाे गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियाें ने बेंगलुरू रवाना हाेने से पहले ही ओम के परिजनाें काे दाे लेटर बनाकर दिए हैं। जिनके आधार पर एम्स दिल्ली में इलाज का एस्टीमेट बनाकर देने पर स्वास्थ्य विभाग आर्थिक मदद करेगा। ओम के पिता ने बताया कि शनिवार काे एम्स पहुंचकर एस्टीमेट बनवाएंगे। दरअसल, 21 दिसंबर काे ओम की एक आंख बाहर आ गई थी। इसके ऑपरेशन पर 25 लाख रुपए खर्च हाेने हैं। लेकिन, परिजनाें की आर्थिक स्थिति खराब हाेने के कारण यह संभव नहीं हाे पा रहा है।