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18 फरवरी को परिषद का कार्यकाल समाप्त होते ही आ सकता है टैक्स में वृद्धि का प्रस्ताव…

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भोपाल निगम परिषद का कार्यकाल 18 फरवरी को समाप्त होने और प्रशासक के रूप में संभागायुक्त की नियुक्ति होने से निगम में जनप्रतिनिधियों का सीधा हस्तक्षेप समाप्त हो जाएगा। महापौर परिषद और निगम परिषद दोनों के ही अधिकार संभागायुक्त के पास होंगे। संपत्तिकर और जलदर में वृद्धि का प्रस्ताव फिर से आ सकता है। पिछली एमआईसी में संपत्तिकर में 10% वृद्धि और जलदर को 300 रुपए करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे नामंजूर कर दिया गया था।

ग्वालियर में संभागायुक्त एमबी ओझा को 30 जनवरी को प्रशासक बनाया गया है। उनके प्रशासक का कार्यभार ग्रहण करने के अगले दिन ही वहां हर घर पर 300 रुपए प्रति वर्ष स्वच्छता शुल्क लगा दिया गया है। व्यावसायिक दर इसके अलावा है। ग्वालियर में 2 साल से स्वच्छता शुल्क लगाने का प्रयास हो रहा था।

पिछले दिनों प्रमुख सचिव संजय दुबे ने एक बैठक में सभी निगमायुक्तों से राजस्व वृद्धि के उपायों के बारे में चर्चा की थी। 18 फरवरी को एक कार्यशाला आयोजित की गई है जिसमें सभी निकायों से उनकी प्लानिंग पूछी है। बैठक में निगम प्रशासन दरों में वृद्धि का यह प्रस्ताव पेश करेगा। निगम अफसरों का तर्क है कि पानी सप्लाई व मेंटेनेंस का खर्चा लगभग 600 रुपए प्रति माह प्रति कनेक्शन है और निगम ने 180 रुपए दर तय कर रखी है। यह वसूली भी करीब पचास प्रतिशत ही हो पाती है।

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