चंबल नदी के किनारे बनने वाले एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी चाहते थे कि राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके दे, इस पर मप्र सरकार राजी हो गई है। अब जल्द ही यह मामला कैबिनेट में रखा जाएगा। भारत माला प्रोजेक्ट के तहत 3 हजार 970 करोड़ रुपए में बनने वाला 283.3 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे मप्र के गडोरा (मुरैना) से शुरू होकर राजस्थान के कोटा तक जाएगा। इसी को लेकर गुरुवार को मुख्य सचिव एसआर मोहंती की पीडब्ल्यूडी, उद्योग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों संग बैठक हुई।
इसमें रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के एमडी सुदाम पी खाड़े ने प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन किया। इस एक्सप्रेस-वे की खास बात यह है कि नेशनल हाइवे नंबर 44 के जरिए नार्थ-साउथ और ईस्ट-वेस्ट काॅरीडोर जुड़ेंगे। नेशनल हाइवे अथाॅरिटी आॅफ इंडिया इसका निर्माण करेगी। कंसलटेंसी भोपाल की फर्म एलएन मालवीय तैयार कर रही है। प्रारंभिक डीपीआर बन चुकी है, इसे रिवाइज करने का काम जारी है।
मुख्य सचिव ने कहा है कि चूंकि जमीन अधिग्रहण में 305 करोड़ रुपए राज्य सरकार के लगेंगे, इसलिए जल्द से जल्द प्रस्ताव कैबिनेट के लिए तैयार किया जाए। चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी जमीन में से 50 फीसदी सरकारी है, इसलिए बाकी की आधी जमीन ही राज्य सरकार को अधिग्रहीत करनी होगी। इसमें जमीन के बदले जमीन अथवा लैंड पुलिंग स्कीम के जरिए जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है।
बैठक में यह कहा गया है कि एक्सप्रेस-वे के किनारे (नदी की ओर नहीं) इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब के साथ पर्यटन को विकसित किया जाए। पालपुर-कूनो के करीब से गुजरने के कारण होटल और ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। कंसलटेंट को कहा गया है कि वह एक्सप्रेस-वे के किनारे 16-16 एकड़ के भूखंड भी चिन्हित करे, जिसे व्यावसायिक उपयोग में बदलकर वहां पेट्रोल पंप, वेयर हाउस अथवा रेस्टाेरेंट-मोटल्स खोले जा सकें। इससे लागत मूल्य विकास हो सकेगा। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री की ओर से पूर्व में यह बात रखी गई थी कि राज्य सरकार फंड जुटाए, इसी कड़ी में एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर अन्य गतिविधियों की संभावनाओं को टटोला जा रहा है।
राजस्थान में एक्सप्रेस-वे का 85 किमी और मप्र में 195 किमी हिस्सा होगा। यह चंबल के समानांतर और नदी से 1.5 किमी दूर से गुजरेगा। प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक इसमें चंबल अभयारण्य का हिस्सा नहीं होगा। नएचएआई के जल्द काम शुरू करने के लिए मप्र ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह रोड के निर्माण में लगने वाली मुरम, गिट्टी की राॅयल्टी नहीं लेगा।