राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्व क्षेत्र में दो दिन की सांप्रदायिक हिंसा में 32 लोगों की मौत हो गयी है और बुधवार को शांति रही लेकिन कुछ स्थानों पर दुकानों में आग लगा दी गयी और गुप्तचर ब्यूरो के एक कर्मचारी का शव नाले से बरामद किया गया. पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और सोमवार की रात से भड़की हिंसा पर लगाम लगाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्व क्षेत्र में सुरक्षा बल चारों ओर फैल गए. दिल्ली में हिंसा की घटनाओं के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को लोगों से शांति एवं भाईचारा बनाये रखने की अपील की. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में वर्तमान स्थिति की गहन समीक्षा की है. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जल्दी शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल हो
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ”दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में वर्तमान हालात की गहन समीक्षा की. पुलिस एवं अन्य एजेंसियां सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिये काम कर रही हैं. मोदी ने कहा, ”हमारे संस्कार के मूल में शांति, सौहार्द है. मैं दिल्ली के बहनों, भाइयों से शांति और भाईचारा बनाये रखने की अपील करता हूं. राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति नियंत्रित करने का काम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दिया गया है. डोभाल ने मिली जुली आबादी वाले क्षेत्र में जा कर स्थानीय लोगों से मुलाकात की. उन्होंने कहा, ”जो कुछ हुआ सो हुआ. इंशाअल्ला, जल्दी ही पूरी शांति होगी.” दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक तथा नव नियुक्त विशेष आयुक्त एस एन श्रीवास्तव के साथ मंगलवार को उन्होंने देर रात इलाके का दौरा किया था. सूत्रों ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के दौरान हिंसा पर अंकुश लगाने में विफल रहने के बाद, श्रीवास्तव के बारे में यह माना जाता है कि डोभाल ने उनका चयन किया है
इस बीच दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने हिंसा में कथित भागीदारी को लेकर 106 लोगों को गिरफ्तार किया है और 18 प्राथमिकियां दर्ज की हैं. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) मणदीप सिंह रंधावा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बुधवार को कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आयी और उत्तर पूर्व दिल्ली से पीसीआर कॉल घट गये.” हिंसा के तीसरे दिन मृतक संख्या बढ़कर बुधवार को 27 हो गयी है. हालांकि गुरुवार को जीटीबी अस्पताल द्वारा मिली जानकारी के अनुसार चार और व्यक्ति की मौत हो गई. ऐसे में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गईं. मरने वालों की संख्या अथवा 200 लोगों के घायल होने का आंकड़ा पुलिस विभाग से नहीं मिला है बल्कि अस्पताल के अधिकारियों से पता चला है. बुधवार को लोकनायक जयप्रकाश अस्तपाल से दो मौतों की खबर आयी जिसके साथ ही दिल्ली हिंसा में मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 32 हो गयी.
उत्तर पूर्व दिल्ली की स्थिति को खतरनाक बताते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि स्थिति ‘‘चिंताजनक” है और पुलिस सभी प्रयासों के बावजूद स्थिति संभालने और भरोसा (लोगों में) कायम करने में नाकाम रही है.” उन्होंने कहा, ‘‘सेना को बुलाना चाहिए और बाकी प्रभावित इलाकों में तत्काल प्रभाव से कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए और मैं इस संबंध में माननीय गृह मंत्री को लिख रहा हूं अधिकारी ने बताया कि गुप्तचर ब्यूरो के एक कर्मचारी का शव चांद बाग इलाके में नाले से मिला है जहां वह रहते थे. उनकी पहचान अंकित शर्मा के रूप में की गयी है. अधिकारियों ने आशंका जतायी है कि शर्मा की मौत पथराव में हुई होगी. उन्होंने हिंसा में मारे गये दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल के परिवार के लिए एक करोड़ रूपये के मुआवजे की भी घोषणा की
इलाके में दुकानें एवं स्कूल बंद रहे. विभिन्न सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. पुलिस ने ऐलान किया कि किसी को भी अपने घर से नहीं निकलना चाहिए. अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतवार को होने वाली कक्षा बारहवीं की सीबीएसई बोर्ड की अंग्रेजी परीक्षा स्थगित कर दी गयी है. चांद बाग में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है और किसी को भी बाहर नहीं आने दिया जा रहा है. पिछले दो दिन से जारी दुकानें लूटने और संपत्तियों में आग लगाने जैसी घटनाओं के बाद तनावपूर्ण शांति राहत प्रदान करने वाली थी, लेकिन सभी जगहों पर नहीं गोकलपुरी में दंगाइयों ने दुकानों को आग के हवाले कर दिया जिससे आसमान में धुएं के विशाल काले बादल छा गए. दुकानों के साथ लोगों की आजीविका लुट गयी. रक्तपात देख कर उनके बच्चे दहशत में थे. कई लोगों को अपना घर छोड़ते देखा गया. उनमें से एक परिवार था जिसने वापस आने का वादा किया था, लेकिन कहा कि कब वापसी होगी यह उन्हें पता नहीं. जीटीबी अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि मरीज विभिन्न तरीके से घायल हुए हैं. इनमें बंदूक की गोली, पथराव तथा अन्य हथियारों से हमला शामिल है
इस बीच दिल्ली हिंसा के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा को लेकर बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की. उन्होंने कहा, ”इसकी साजिश दिल्ली चुनाव के वक्त ही दिखी थी और भाजपा नेताओं ने घृणास्पद भाषण दिए और डर का माहौल बना दिया.” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा के लिए शाह को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए. दूसरी ओर मामले का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा ने सोनिया की आलोचना की. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत पार्टी नेताओं ने पार्टी कार्यालय से तीस जनवरी मार्ग पर स्थित गांधी स्मृति तक शांति मार्च निकाला
गौरतलब है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले समूहों के बीच संघर्ष ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था. उपद्रवियों ने कई घरों, दुकानों तथा वाहनों में आग लगा दी और एक-दूसरे पर पथराव किया. इन घटनाओं में बुधवार तक कम से कम 27 लोगों की जान चली गई और करीब 200 लोग घायल हो चुके हैं इस बीच माकपा नेता सीताराम येचुरी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए भाकपा महासचिव डी राजा ने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट है कि दिल्ली में हिंसा पुलिस और उसे नियंत्रित करने वाली शक्तियों की मिलीभगत से हुई है. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि दिल्ली हिंसा ने 2002 के गुजरात दंगों की ‘‘याद” दिला दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सेना को बुलाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि दिल्ली में हिंसा को पुलिस और उन ताकतों की शह थी जो उन्हें संचालित करते हैं. केंद्र और राज्य सरकार को हिंसा में मारे गए व्यक्तियों के आश्रितों एवं घायलों को पर्याप्त मुआवजा देना चाहिए.”