बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 2 बाघ (एक नर और एक मादा) शावक बुधवार को दोपहर में भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क लाए गए हैं। दोनों बाघ शावक 2 साल 3 माह की उम्र के हैं और एक ही मां की संतान हैं। बाघ शावकों के आने के बाद वन विहार में बाघों की संख्या 12 हो गई है। पिछले हफ्ते सिवनी में चोटिल हो गए तेंदुए को वन विहार में शिफ्ट किया गया था
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया लाए गए इन बाघ शावकों की मां की मृत्यु हो जाने के कारण दोनों शावकों को रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रखकर परवरिश की गई थी। विशेषज्ञों के परीक्षण के दौरान दोनों शावकों को प्राकृतिक परिवेश और रहवास में पुर्नस्थापित करने योग्य नहीं पाए जाने के कारण वन विहार भेजने का निर्णय लिया गया है। दोनों ही बाघ नैसर्गिक रूप से शिकार करने में फिलहाल सक्षम नहीं पाए गए हैं।
बांधवगढ़ प्रबंधन के मुताबिक, 2017 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघ शावकों को शिकार के पास पाया था। ये शावक बाघिन टी-20 की संतान के थे। प्रबंधन ने दोनों शावकों की दो दिन तक निगरानी की लेकिन इनकी माँ इन्हें लेने नहीं आई। बांधवगढ़ प्रबंधन ने इन्हें बाड़े में लाकर दूध पिलाकर जीवित रखा। धीरे-धीरे इन्हें कीमा, कटा हुआ मुर्गा, बकरे का का मांस, जीवित पाड़ा, जीवित चीतल आदि दिए गए। इन्होंने बाड़े में ही शिकार कर खाना भी सीखा। एक वर्ष 4 माह की उम्र में इन्हें बहेरहा स्थित बाड़े में शिफ्ट किया गया।
शावकों को वन में छोड़ने के पहले एक विशेषज्ञ दल ने उनके व्यवहार का परीक्षण किया। चूंकि ये शावक बचपन से ही मनुष्यों द्वारा पाल-पोसकर बड़े किए गए थे, इसलिए ये मनुष्य की उपस्थिति के आदी हो चुके थे और बाड़े के समीप पहुंचे किसी भी व्यक्ति के करीब आने का प्रयास करते थे। विशेषज्ञ दल ने वयस्क हो जाने पर इन शावकों को वन विहार भेजने की अनुशंसा की, जिसके आधार पर इन्हें वन विहार लाया गया है।